आरती श्री सत्यनारायणजी की
जय लक्ष्मीरमणा श्री जय लक्ष्मीरमणा। सत्यनारायण स्वामी जनपातक हरणा॥ जय लक्ष्मीरमणा। रत्नजड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजे। नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजे॥ जय लक्ष्मीरमणा। प्रगट
जय लक्ष्मीरमणा श्री जय लक्ष्मीरमणा। सत्यनारायण स्वामी जनपातक हरणा॥ जय लक्ष्मीरमणा। रत्नजड़ित सिंहासन अद्भुत छवि राजे। नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजे॥ जय लक्ष्मीरमणा। प्रगट
हर हर हर महादेव! सत्य, सनातन, सुन्दर, शिव सबके स्वामी। अविकारी अविनाशी, अज अन्तर्यामी॥ हर हर हर महादेव! आदि, अनन्त, अनामय, अकल, कलाधारी। अमल, अरूप,
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ। कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ। श्री श्यामसुन्दर तेरी आरती गाऊँ। श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥ मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे।
गणपति की सेवा मंगल मेवा,सेवा से सब विघ्न टरैं। तीन लोक के सकल देवता,द्वार खड़े नित अर्ज करैं॥ गणपति की सेवा मंगल मेवा…॥ रिद्धि-सिद्धि दक्षिण
आरती गजबदन विनायक की।सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥ आरती गजबदन विनायक की।सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥ आरती गजबदन विनायक की॥ एकदन्त शशिभाल गजानन,विघ्नविनाशक शुभगुण कानन। शिवसुत वन्द्यमान-चतुरानन,दुःखविनाशक सुखदायक की॥
ॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता । विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।। तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति
सत सृष्टि तांडव रचयिता नटराज राज नमो नमः… हेआद्य गुरु शंकर पिता नटराज राज नमो नमः… गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्मांडना नित होत नाद
आरती श्री जगन्नाथ मंगलकारी, परसत चरणारविन्द आपदा हरी। निरखत मुखारविंद आपदा हरी, कंचन धूप ध्यान ज्योति जगमगी। अग्नि कुण्डल घृत पाव सथरी। आरती.. देवन द्वारे
ॐ जय श्री जीण माता, जय श्री जीण माता। जो ध्यावत जग झंझट, उसका कट जाता ।। ॐ जय।। रत्न जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि न्यारी।
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे भक्त जनन के संकट, छिन में दूर करे ।।ॐ।। जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का,
आरती कुंजबिहारी की, गिरधर कृष्ण मुरारी की। गले में बैजन्ती माला, बजाये मुरली मधुर बाला। श्रवण में कुण्डल झल काला, नन्द के आनन्द नन्द लाला।
ॐ जय जय जय गिरिराज, स्वामी जय जय जय गिरिराज। संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज॥ ॐ जय॥ इन्द्रादिक सब सुर मिल तुम्हरौं
लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु॥
Coded By brahma
2020 - ∞
ॐ