(गीत)
पथ पर मेरा जीवन भर दो,
बादल हे अनन्त अम्बर के!
बरस सलिल, गति ऊर्मिल कर दो!

तट हों विटप छाँह के, निर्जन,
सस्मित-कलिदल-चुम्बित-जलकण,
शीतल शीतल बहे समीरण,
कूजें द्रुम-विहंगगण, वर दो!

दूर ग्राम की कोई वामा
आये मन्दचरण अभिरामा,
उतरे जल में अवसन श्यामा,
अंकित उर-छबि सुन्दरतर हो!

Share the Goodness
Facebook
Twitter
LinkedIn
Telegram
WhatsApp
Choose from all-time favroits Poets

Join Brahma

Learn Sanatan the way it is!