बाली वध से द्रवित न होईये

“मैं बैरी , सुग्रीव पियारा
अवगुन कवन नाथ मोंहिं मारा “

बाली का वध करने वाले राम बहुत कठोर दिखाई देते हैं ??
मरणासन्न बाली का प्रलाप , उसकी पत्नि तारा के आंसू , पुत्र अंगद का दुःख ..और भाई सुग्रीव का पश्चाताप देखकर दिल द्रवित हो जाता है ?

..और यह बात भी सीने में चुभ जाती है ..कि ,
बाली को धोखे से क्यों मारा !!

अब ज़रा दुसरी तरह से सोचिए ,
राम का यही आदर्श तॊ हमने खो दिया है ..
जो नही खोना चाहिए था !
नीति अनीति , रणनीति निपुण ..दूरंदेशी.. और दृढ़ ह्रदय राम !
राम का एक यह पक्ष भी तॊ है न !!

अगर यह आदर्श स्थापित रहता ..तॊ पृथ्वीराज चौहान 17 बार मुहम्मद गौरी को न छोड़ते !!
भारत में अम्भीक और जयचंद जैसे गद्दारों की ऐसी श्रृंखला न खड़ी हुई होती !!

पापी का अंत करने हेतु राजा को कठोर और दूरंदेशी होना ही चाहिए !!
फिर वह शत्रु चाहे भीतरी हो या बाहरी !

भारत के दो सर्वाधिक पूज्य भगवान,
श्रीराम और श्रीकृष्ण, दोनों ने ही अपने शत्रुओं से भीषण रण का आदर्श स्थापित किया है !!
मत भूलिए कि ..रामायण और महाभारत दोनों ही युद्ध में लाखों लोग मारे गए थे !!

किंतु इधर , बुद्ध के बाद का भारत , शस्त्र पूजा न कर सका !!
यही कारण है कि वह बारंबार विदेशियों आक्रांताओं के आक्रमण का शिकार हुआ और उनसे शासित भी हुआ !
वह चाहे सिकन्दर का आक्रमण रहा हो ,
शक , कुषाण , हूणों का …अथवा ,
तुर्क , अफ़ग़ान , मुग़ल ..या अंग्रेजों का !
कृष्ण के बाद भारत कभी भी ठीक तरह से शस्त्र न उठा सका !!

हिंसा-अहिंसा की दो फांक मनोदशा ने भारत को कहीं का नही छोड़ा !

अर्जुन भी युद्ध के मैदान में दो फांक हो गया था !
..लड़ूं ..न लड़ूं ! नीति क्या ,अनीति क्या ??

..बड़े आश्चर्य की बात है कि यह धर्मसंकट श्रीराम और श्रीकृष्ण के सामने कभी खड़ा नही हुआ !
वह चाहे बाली वध हो ..या मेघनाद वध ,
राम कभी दुविधा में नही पड़े कि क्या करूं ..क्या न करूं ??
…उन्हें सदा ही स्पष्ट था कि क्या करना है !

..इसी तरह श्रीकृष्ण भी कभी, किसी भी निर्णय को लेकर असमंजस में नही पड़े कि क्या उचित है, क्या अनुचित ?
…उचित -अनुचित उन्हें सदा ही पानी की तरह साफ़ था !!

किंतु परवर्ती भारत सदा ही दुविधा में रहा !!

अगर भारत ने राम के मर्यादा पुरुषोत्तम , शीलवान , धैर्यवान स्वरूप के साथ-साथ ,
…बुराई के प्रति प्रतिकारी , सख़्त , निष्ठुर और दृढ़ अविचलित चित्त राम को भी आदर्श बना लिया होता …तॊ भारत ने समस्त विदेशी आक्रांताओं को उनकी ही सीमाओं में खदेड़ दिया होता !!

मेरे देखे , भारत के पतन का मुख्य कारण ..राम और कृष्ण का आधा स्वीकार है !!
तिस पर भी , श्रीकृष्ण तॊ बहुत बाद में आए किंतु ,
बाली को छिपकर मारने और मेघनाथ की तपस्या भंग करके ..उसे मारने का कारनामा तॊ श्रीराम ने त्रेता युग में ही कर दिखाया था !
महाभारत काल में तॊ श्रीकृष्ण ने राम की परंपरा को ही आगे बढ़ाया ..और अविचलित चित्त से भीष्म , द्रोण , कर्ण सहित उन सभी योद्धाओं का संहार किया जो अधर्म के पक्ष में शस्त्र उठाए खड़े थे !!

किंतु बाद का भारत, न मर्यादा पुरुषोत्तम राम का आदर्श स्थापित कर पाया ..न ही शस्त्रधारी श्रीराम का !!

वह कृष्ण की बाल लीलाओं और राधा-कृष्ण की प्रेम कहानियों में ही मगन होकर रह गया …और ,
रणभूमि में पाञ्चजन्य बजाने वाले गीता के उपदेशक योगेश्वर श्रीकृष्ण का आदर्श भूल गया !!

न ..न !
बाली वध को करुण हृदय से नही ..बल्कि कठोर ह्रदय और दूरंदेशी आँखों से भी देखना सीखें !!
..बाली वध प्रसंग में राजा राम के सख़्त मिज़ाज को भी देखिए !
व्यर्थ की करुणा के लिए राम के चित्त कोई जगह नही है !

भारत ने शस्त्रधारी राम के इस आदर्श को खो दिया था …जिसकी सज़ा सदियों ने उठाई है !!

इसलिए , बाली वध से द्रवित न होईये बल्कि
चित्त में राम की दृढ़ता को स्थापित कीजिए !!

http://instagram.com/belikebrahma

Comments
Sharing Is Karma
Share
Tweet
LinkedIn
Telegram
WhatsApp

know your dev(i)

!! Shlok, Mantra, Bhajan, Stories, temples all in one place !!

Join Brahma

Learn Sanatan the way it is!