मल्टीड्रग रजिस्टेंट वायरस – ‘भारत का बुद्धिजीवी’
एक फ़िल्मी सीन याद कीजिए ..जिसमें हीरो , विलेन को मृत मानकर मुड़ता है ..किंतु तभी विलेन के अधमरे ज़िस्म में हरक़त होती है ..और वह आख़िरी वार करता है !!
पिछले दो चुनाव हारने के बाद भारत का बुद्धिजीवी मृतप्राय हो चुका था !
2014 की हार के बाद उसे पूरा भरोसा था कि 2019 में ..दक्षिणपंथी सरकार गिर जाएगी और मीडिया सहित , भारत के सारे संस्थानों में ..पहले की तरह पुनः उसका वर्चस्व स्थापित हो जाएगा !
इसीलिए उसने 2019 के चुनाव में साम दाम दंड भेद सहित भीषण संग्राम किया ..किंतु बुरी तरह पराजित हुआ !!
यह निर्णायक पराजय थी !
लेकिन एक कहावत है – “जाट मरा तब जानिए , जब तेरहवीं हो जाए ! ”
..भारत का बुद्धिजीवी वो बला है जो कभी हार नही मानता !!
अब उसने CAA और NRC के बहाने अल्पज्ञ मुस्लिमों और शगलबाज़ युवाओं को भड़काकर अपना आख़िरी वार कर दिया है !
इसके बाद हीरो मुड़ेगा ..और मूवी समाप्त हो जाएगी !
आतंकवादी रैडिकल स्लामिक तत्व देश में दाखिल न हों …इसके लिए विश्वभर के देश अपनी शील्ड निर्मित कर रहे हैं !
इसमें भारत के मुसलमानो को घबराने की कोई वज़ह ही नही है!
वे भारत के नागरिक हैं और हज़ारों साल तक रहेंगे ! इसमें किसी को कोई संदेह नही रहना चाहिए !
फिर फसाद की जड़ क्या है ?
फ़साद की जड़ है ..’भारत का बुद्धिजीवी’ , जो कि लेफ्ट इन्क्लाइंड है !
पूरा संघर्ष लेफ्ट बनाम राईट का है !
क्योंकि लेफ्ट को लगने लगा है कि अब अगले 20 वर्षों तक राईट का राज रहने वाला है !
इसलिए , यह दिया बुझने से पहले आख़िरी बार फफक रहा है !!
भारत की अधिकतकर समस्याएं उसके इतिहास में हैं !
मसलन , अनेक नस्लों के आक्रमण और उनकी ब्रीड के मिक्सचर के चलते सैकड़ों जातियाँ और वर्ग बने !
जिसकी वज़ह से आज़ादी के बाद ,
आरक्षण , St, Sc , obc आदि की ज़रूरत पड़ी !
इस आरक्षण ने देश के विकास में बहुत बड़ा रोड़ा अटकाया ..क्योंकि इसने बहुत सारे नाकाबिलों को क़ाबिलों के ऊपर बैठाल दिया !
फिर इसी जातिवाद के चलते देश की राजनीति भी जातिवादी इक्वेशन के इर्दगिर्द होने लगी , जिसने राजनीति के स्वरूप को बुरी तरह भ्रष्ट कर दिया !
उधर, भारत के स्वतन्त्रता संघर्ष के इतिहास के साथ-साथ अगर विश्व का इतिहास देखें तॊ …1917 की बोल्शेविक क्रांति के बाद से विश्व दो विचारधाराओं में बँट गया था- वामपंथ और दक्षिणपंथ !!
कालांतर में , अपनी अव्यावहारिक सोच , भीषण रक्तपात , दमन, अनुत्पादक मनुष्यों की फ़ौज , कट्टरपंथिता और समयानुकूल बदलाव न कर पाने की वज़ह से ..विश्वपटल से वामपंथ का लगभग सफ़ाया हो गया !
(चीन को वामपंथी न माने, वह वामपंथ की आड़ में प्रखर राष्ट्रवादी राष्ट्र है ! )
चूँकि रूस और चीन भारत की सीमा से जुड़े हुए हैं ..लिहाजा आज़ादी के आंदोलन के साथ साथ भारत में भी वामपंथी विचारों का उदय हुआ !
आज़ादी के बाद चूँकि भारत की सरकार की दोस्ती रूस-चीन से थी .इसलिए स्वाभाविक ही भारत में वामपंथ को ज़बरदस्त प्रश्रय मिला !
और सारा साहित्य , इतिहास , कला और राजनैतिक चिंतन प्रत्यक्षतः , वामपंथी न होते हुए भी वामपंथ प्रभावित रहा !
बाद में चीन ने पीठ में छुरा भौंका और विश्वासघात के दंश से नेहरू गुज़र गए !
..फिर 1990 आते-आते , गोर्बाचोव के नेतृत्व में रूस .अनेक टुकड़ों में टूटा और अंततः .वामपंथ से बाहर आ गया !
भारत में भी वामपंथ की लोकसभा में संख्या जो कभी 40 से ऊपर रहा करती थी ,अब सिमट कर 5 रह गई है !
बंगाल , त्रिपुरा के बाद केरल से भी उसका सफ़ाया हो गया है !
..अब कामरेड सुरजीत , ज्योति बसु , नम्बूदिरीपाद , ए बी वर्धन जैसे सादा जीवन जीने वाले ज़मीन से जुड़े अच्छे नेता भी नही रहे !
भारत में सबसे ज़्यादा समय तक राज करने वाली पार्टी कांग्रेस ..टेक्निकली तॊ वामपंथी नही है ,
किंतु साइकोलॉजिकली वामपंथी ही है !
अब चूँकि जो पार्टी सत्ता में होती है ..तॊ अप्रत्यक्षतः प्रेस , मीडिया , साहित्य , और अन्य सभी मंचों पर उसकी ही सोच प्रसारित हो जाती है !
लिहाज़ा , सत्ता से लाभ लेने के कारण .अधिकतर पत्रकार , साहित्यकार , कलाकार , इतिहासकार आदि लम्बे समय तक कांग्रेस के पिछलग्गू बने रहे !
आज भी भारत के 80% पत्रकार , साहित्यकार और कलाकार वाम रुझान के ही हैं !
जिन्हें हम “बुद्धिजीवी” कहते हैं ..वे ये ही लोग हैं !
मीडिया हाऊस , अवार्ड्स समितियों , कला संस्थानों पर अब भी इन्हीं का
कब्ज़ा है !
अब ये लोग बूढ़े हो चले हैं किंतु ,
इनसे लाभ लेने की वज़ह से अति महत्वाकांक्षी , अवार्ड लोलुप तथाकथित युवा पत्रकार और कलाकार ..अभी भी इस लुप्तप्रायः विचारधारा की चरणवंदना करते हैं !
अब दूसरी बात पर आते हैं !
दूसरी बार प्रचंड जनादेश से चुनकर आई सरकार ..जब इस सड़ चुके वृक्ष की चिकित्सा करती है ..तॊ बुद्धिजीवीयों को दर्द क्यों होता है !
दरअस्ल , ये बुद्धिजीवी जो स्वयं को सहिष्णु सिद्ध करने के लिए , असहिष्णुता की सब हदें पार कर जाते हैं …देश के सबसे बड़े कट्टरपंथी हैं !
वामपंथी से बड़ा कट्टरपंथी , विश्व में कहीं नही मिलेगा !
आम जनता तॊ सौ बार अपना पक्ष बदल लेती है ! वह साफ़ आँखों से अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा देख लेती है !
और उसी भावना से ..कभी इस पार्टी को ..तॊ कभी उस पार्टी को वोट दे देती है !
लेकिन ये लोग अपनी विचारधारा को लेकर टस से मस .नही होते !!
इस देश की जनता कट्टरपंथी नही है !
न भारत का हिंदू कट्टरपंथी है , न भारत का मुसलमान कट्टरपंथी है !
ये भारत के बुद्धिजीवी हैं ..जिन्होनें मुसलमान को डरा-डरा कर कट्टरपंथी बना दिया है !
और अब प्रतिक्रिया स्वरूप हिंदू लामबंद होता दिखने लगा ..तॊ इनके हाथ-पैर फूलने लगे हैं !
वास्तविक कट्टरपंथी तॊ ये बुद्धिजीवी हैं !
इनका सब मंचों से बहिष्कार करें !
ये कितने ही बड़े कलाकार हों , इनकी वाहवाही करना बंद कीजिए !
आख़िरी बात ,
महमूद गज़नवी(1017) और बाबर (1526)
दोनों मिलाकर , दस हज़ार इन्वेडर्स के सथ भारत को लूटने आए थे !
आज इनकी संख्या 55 करोड़ है !
20 करोड़ पाकिस्तान में , 21 करोड़ भारत में , 14 करोड़ बांग्लादेश में !
एक धर्म की आबादी इस क़दर कैसे बढ़ी , ये बात विचार का विषय क्यों नहीं होनी चाहिए ??
इसके चलते ..भारत के तीन टुकड़े भी हुए !
पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफ़गानिस्तान !
अब यह ईमारत और न टूटे ..इसके लिए जो भी रिपेयरिंग उचित हो की जानी चाहिए !
दुःसाध्य रोगों में सर्जरी और कीमोथेरेपी भी की जाती है !
बस देश को स्वस्थ होना चाहिए !
इसके लिए , इस “बुद्धिजीवी” नाम के वायरस का खात्मा बेहद ज़रूरी है !
यह मल्टी ड्रग रजिस्टेंट हो चुका है !
नेक्स्ट जेनरेशन एंटीबायोटिक्स की स्ट्रॉन्ग डोज़ ही इस वायरस को भारत के मस्तिष्क से समाप्त कर सकती है !
आपस में मत लड़िए !
इस सोच से लड़ें, इसने हिंदू का भी अहित किया है इसने मुसलमान का भी अहित किया है !
इसने सिर्फ़ अपना स्वार्थ पाला है !
और यह सोच अभी ख़त्म नही हुई है !
CAA , NRC , 370, राम मंदिर आदि मसले किसी फ़साद की जड़ नही हैं !
फ़साद की जड़ है ..भारत का बुद्धिजीवी !
इसकी जड़ों में मठा डालना ज़रूरी है !