शराब एकमात्र “महारस” बन जाएगा?

जिसका अंदेशा था, वही हुआ !
अंदेशा था कि शराब खुलेगी, तो दो काम होंगे,
एक- शराबी, शराब लेने टूट पड़ेंगे !
दूसरा- उपदेशक, उपदेश देने टूट पड़ेंगे !

बात यह नहीं है कि शराबी, शराब पिए, कि न पिए !! बात यह है कि शराब न पिए, तो क्या करें?
‘मजरूह” ने कहा था –
बहाने और भी जो होते जिंदगी के लिए
हम एक बार तेरी आरजू भी खो देते !!

मजदूर, मजदूरी करता है.. बीच-बीच में बीड़ी पीता है! रेजा माल ढोती है, बीच-बीच में बीड़ी भी पीती है !
फिर रात को दोनों शराब पीते हैं, लड़ते हैं, गाली गुफ़्तारी करते हैं, फिर सो जाते हैं!
सुबह पुनः उनके मेहनती चेहरों पर नवजात शिशु सी मासूमियत छा जाती है क्योंकि सारा सप्रेस्ड निकाला जा चुका होता है!

श्रम के बीच बीड़ी का क्या काम ?
क्या इससे ताक़त मिलती है? नही !
किंतु इससे सुकून मिलता है !
बीड़ी, श्रमिक का नशा नहीं है ! बीड़ी उसका आराम है ! बीड़ी उसके लिए एक तरह का प्राणायाम है ! धीमा गहरा कश, और चित्त शांत हो जाता है !

बीड़ी पीता मजदूर एकदम से उत्तेजित नहीं होता, शीघ्र लड़ने पर उतारू नहीं होता, क्योंकि उस वक्त वह एक मेडिटेटिव स्टेट में है !
वह शांत है, रिलैक्स है!
बीड़ी ना पिए, तो काम उसके लिए बोझ है !
बीड़ी उसका मोटिवेशन है !

वह ‘एक घंटा गड्ढा खोदता है , फिर चैन से, उसी गड्ढे से निकली मिट्टी के ढेर पर बैठकर बीड़ी पी लेता है !’ ये उसका सुकून है !
शराब, बीड़ी का बड़ा भाई है ! वह दिनभर के काम का एकमुश्त पारितोषिक है !
रात शराब पीने की आस में मजदूर दिन भर काम कर जाता है! और तो कुछ सुख उसे है नहीं !

दिनभर कठोर श्रम है, जिल्लत है, ठेकेदार की गाली है, बीबी पर सेठ की नजर है !
वह शराब न पिएगा तो तनाव से मर जाएगा !
उससे यह सुख छीन लिया जाएगा तो वह हिंसक और अपराधी हो सकता है !
सप्रेस्ड को, दमित को कहीं से निकलने का कोई द्वार न मिले तो वह विषाक्त हो जाता है !

हिटलर शराब नहीं पीता था ! न ही सिगरेट, यहां तक कि वह नॉनवेज भी नहीं खाता था !
किंतु धरती पर उससे निर्दयी और क्रूर आदमी ढूंढना मुश्किल है !
इसी तरह औरंगजेब भी जितेन्द्रिय था!

किंतु मुगल शासकों में वह क्रूरतम था !
सुकून और आनंद मनुष्य की प्राकृतिक मांग है ! भोजन, पानी, हवा की तरह यह भी चेतना की अनिवार्य खुराक है !
..जिस तरह भोजन की कमी से शरीर में कीटोन बनने लगता है, पानी की कमी से शरीर डिहाइड्रेट हो जाता है, उसी तरह आनंद की कमी से चेतना में विकृति आ जाती है !

यही कारण है कि जो व्यक्ति आनंद के सब स्रोत बंद कर देते हैं, वे अधिकतर क्रोधी, ख़ब्ती और हिंसक हो जाते हैं !
ख्याल रहे हमारे अधिकतर ‘भारत रत्न’ भी शराब पीने वाले और चेनस्मोकर्स थे !
वो चाहे जवाहरलाल नेहरू रहे हों, कि सुभाष चंद्र बोस या अटल बिहारी वाजपेई !
मौलाना आजाद और सरदार पटेल भी चेनस्मोकर्स थे !!

तो क्या नशा किया जाए?
नहीं, हमारा ऐसा कथन नहीं है !
किंतु यह जानना आवश्यक है कि आदमी नशा करता क्यों है?
सीधा उत्तर तो यही है कि.. सुख के लिए, आनंद के लिए !
किंतु आनंदित होने के तो अन्य उपाय भी हैं !

फिर नशा ही क्यों?
किंतु अन्य उपाय मुहैया कहां है?
आनंद तो वही है जो हमें निर्भार करे !
अगर अवचेतन पर कोई बोझ न हो, तो कोई व्यक्ति नशा नहीं करना चाहेगा !

यहां नशा और शौक का अंतर समझ लेना भी आवश्यक है !
विदेशों में भी आदमी शराब पीता है, किंतु उसके लिए शराब शौक है, नशा नहीं !!
वह चाय और कॉफ़ी की तरह सहजता से शराब पीता है !

कभी गोवा में बीच पर बैठे, शराब पीते विदेशियों को देखें !!
वे बड़ी ही नफासत, नजाकत से शराब पीते हैं ! धीरे-धीरे बात करते हैं, हो-हल्ला नहीं करते,
कोई न्यूसंस् नहीं करते, सीधी चाल चलते हैं,
एक हल्की सी खुमारी को एंजॉय करते हैं बस !!

लेकिन भारत का आदमी कलारी से निकलते ही लड़खड़ाने लगता है ! गाली गुफ़्तारी करने लगता है, बेसुध होकर नाली में गिर जाता है !
ऐसा क्यों ?
क्योंकि वह शौक नहीं, नशा करता है !

शौक में सजगता बनी रहती है !
शौक आदत नहीं होता, किंतु नशा असजग कर देता है ! वह आदत बन जाता है, फिर उससे भी बढ़कर, एडिक्शन बन जाता है और एडिक्शन सब मर्यादाएं तोड़ देता है !

जिसे आज लॉकडाउन के बीच शराब की दुकानों पर देखा जा सकता है !!
किंतु शराबियों की इस गुस्ताख़ी का गुनहगार हमारा ही समाज है ! क्योंकि हमने सहज जीवन जीने के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं ! सब रास्तों पर चरित्र के बैरियर्स लगा दिए हैं !

…आप खुलकर प्रेम नहीं सकते, प्रेमी /प्रेमिका के साथ स्वच्छंद विचर नहीं सकते,
बेबाक़ी से हंस बोल नहीं सकते, नाच नही सकते !!
क्योंकि सब ओर से, हजार निगाहों के कैमरे आपके हर शॉट को कैप्चर कर रहे होते हैं !

आपकी पूरी जिंदगी सामाजिक सर्विलांस पर है !
जजमेंट का स्पाई कैम, आपके हर कृत्य पर नजर रखे है !
लिहाजा आप हर वह चीज छिप छिप कर करते हैं जिसे आपके चरित्र से जोड़कर देखा जा सकता है !

यह बंदिश, हमारी चेतना को निर्बाध बहने नही देती !
हम सब ओर से एक बागड़ बना कर जीते हैं और हमारी चेतना की नदी, एक छोटा सा डबरा बन कर रह जाती है !
और यह डबरा, ख़ुशी की ऑक्सीजन कम होने
तथा दुःख की निकासी ना होने से, कुछ ही समय में बदबू से बजबजाने लगता है !

फिर इधर मजे की बात यह है कि हम भ्रष्टाचार को बुरा नहीं मानते ! झूठ, छल, कपट,
राष्ट्रीय संपत्ति का नुकसान, टैक्स चोरी,,
आय से अधिक संपत्ति.. इन्हें चारित्रिक बुराई नहीं मानते !!
किंतु शराब पीना या प्रेम संबंध का होना हमारे लिए बहुत बड़ी बुराई है !

हमने आनंद के प्रकटीकरण के सब रास्तों पर पहरे लगा दिए हैं !
यही कारण है कि हमारा कुछ रेचन नहीं हो पाता है ! और अवचेतन में सब दमित भरा पड़ा रह जाता है !
फिर जब शराब मिलती है, तो हम शौक नहीं करते.. हम नशा करते हैं, उस हद तक कि दमित रिलीज हो सके !!

बाप परेशान है ! दिन भर मेहनत करता है !
बच्चों की पढ़ाई का खर्च है, बिटिया की शादी सिर पर है,, बाबूजी की दवाई का खर्च है, वर्कप्लेस के तनाव हैं, सो अलग !!
चैन और सुकून का एक क्षण नहीं मिलता जीवन में !
ऐसे में अगर वह एक कश सिगरेट का लगाना चाहे, तो उस पर भी सौ निगाहें जमी है !
…. बेचारा दूर, किसी टपरे पर, आड़ के पीछे जाकर जल्दी-जल्दी आधी सिगरेट फूंक कर पैर से बुझा देता है और लौट आता है !
दोबारा काम पर जुट जाता है !
यह भी न करे, तो क्या करें, क्या पागल हो जाए ??
शराब का नशा तब तक नहीं छूट सकता जब तक हम दूसरे आनंद रोक कर रखेंगे !!

जब तक प्रेम पर पाबंदी है, जब तक हंसने खिलखिलाने पर, स्वतंत्र जीने पर पाबंदी है,
जब तक हम 24 घंटे चरित्र निर्धारण के सर्विलांस पर हैं,
तब तक शराब शौक नहीं, नशा ही रहने वाला है! और नशे के दीवाने तो दुकानों पर टूटेंगे ही !

क्योंकि सप्रेस्ड तो निकलेगा ही,
उसका निकलना जरूरी भी है, क्योंकि शराब अगर टॉक्सिन है तो सप्रेस्ड इमोशंस तो उससे बड़ा टॉक्सिन हैं !

शराब तो सीमित मात्रा में औषधि भी है, किंतु दमित आवेग तो हर मात्रा में विष ही हैं !

भारत में अगर शराब की दुकानों पर भीड़ को रोकना है, तो दिमागों की सामाजिक जकड़न को खोलना होगा !
जीवन में सब ओर से रस के द्वार खोल दें,
तो शराब उसमें एक छोटा सा रस रह जाएगा ! किंतु,
अगर सब ओर से रस की सब धाराएं बंद कर देंगे तो शराब एकमात्र “महारस” बन जाएगा !!

हर पतंग को खींचकर नहीं, कुछ पतंगों को ढील देकर काटा जाता है !!

http://instagram.com/belikebrahma

Comments
Sharing Is Karma
Share
Tweet
LinkedIn
Telegram
WhatsApp

know your dev(i)

!! Shlok, Mantra, Bhajan, Stories, temples all in one place !!

Join Brahma

Learn Sanatan the way it is!