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अपहाय निजं कर्म कृष्णकृष्णोति वादिनः ।ते हरेर्द्वेषिनः पापाः धर्मार्थ जन्म यध्धरेः ॥
कर्म छोडकर केवल कृष्ण कृष्ण बोलते रहते हैं, वे हरि के द्वेषी हैं ।