राष्ट्रोत्कर्ष दिवस

जगद्गुरु स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी

पीठपरिषद्, आदित्यवाहिनी एवं आनन्दवाहिनी
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Rashtrotkarsh Divas

Birthday राष्ट्रोत्कर्ष दिवस ଜନ୍ମଦିନ जन्म दिवस अवतरण दिवस Coming in

26 जून , आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी

🙏🏻 Very impressed with ur knowledge and dedication to dharma Wish you a long healthy and energetic life on your birthday Best wishes in the endeavour of spreading dharma

श्रीगुरूदेव भगवान जगतगुरू शंकराचार्य श्री निश्चिलांनंद सरस्वती जी महाभाग जी जन्म दिवस पर बहुत बहुत मंगल शुभ कामनाए । जय गुरूदेव भगवान, जय जगन्नाथ जी, श्रीम्मदजगतगुरू शंकराचार्य सदाविजयते

गुरुदेव भगवान के श्री चरणों में कोटि-कोटि साष्टांग दंडवत प्रणाम जन्मदिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं

निशांत मुद्गल Tweet

श्री सद्गुरु दिव्य चरण कमलेभ्यो नमः श्री मज्ज🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏गदगुरू शंकराचार्य भगवान की जय!🙏🙏🙏 गुरूदेव भगवान को उनके प्राकट्य दिवस की मंगलमय शुभकामनाएं गुरूदेव भगवान की कृपादृष्टि कृपाछाया और दर्शन हमेशा होते रहें परमपिता परमात्मा जगदीश्वर से यही मनोकमना है कि गुरुदेव भगवान का हमेशा इसी प्रकार स्वस्थ मस्त जीवन बना रहे और जब तक गुरूदेव भगवान की इच्छा हो तब तक गुरूदेव भगवान यहीं धरा धाम में सशरीर उपस्थित रहें गुरूदेव दीर्घायु हों मनेच्छित आयु प्रदान हों और गुरुदेव के सपनों का भारत जल्द से जल्द साकार हो यही प्रार्थना है। गुरूदेव भगवान आजीवन सकुशल स्वस्थ मस्त तंदुरुस्त दीर्घायु हों यही कामना है!

🙏 गुरुजी आपको सादर प्रणाम। जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🙏

परिचय

पुरीके वर्तमान 145वें श्रीमद्जगद्गुरु शंकराचार्य अनेक विलक्षणताओंके धनी महान विभूति हैं। इनका बचपनका नाम नीलांबर झा है किंतु अपने गांवमें वह ‘घुरन’के नामसे प्रसिद्ध थे। इनका जन्म विक्रम संवत 2000 आषाढ़ कृष्ण त्रयोदशी उपरांत चतुर्दशी बुधवार रोहिणी नक्षत्र वृष राशि तदनुसार 30 जून 1943 को दरभंगा जिला अब मधुबनी जिला अंतर्गत हरिपुरबक्शी टोल नामक ग्राममें हुआ था। उनके पिताजीका नाम श्री लाल बंसी झा था, जो बचवे झा या बचवे बाबूके नामसे प्रसिद्ध थे। वे दरभंगा नरेशके राज पंडित थे। उनकी माताका नाम गीता देवी था।

बालक नीलांबरका बचपन अनेक विचित्रताओंसे भरा रहा। बचपनमें ही उनको आत्मबोध हुआ। भगवान श्री कृष्णके दर्शन भी हुए और बचपनसे ही उनके मनमें श्री वृंदावनका दर्शन करनेकी इच्छा भी जगी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांवमें ही हुई किंतु हाई स्कूलकी शिक्षाके लिए वे अपने अग्रज श्री श्रीदेव झाके साथ दिल्ली चले गये।

दिल्लीमें ही धर्म संघके वार्षिक महाधिवेशनके अवसरपर उन्हें धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराजका दर्शन हुआ। उसी समय उन्होंने स्वामी श्री करपात्री जी महाराजको अपने सद्गुरुके रूपमें पहचान लिया। जब वे दसवीं कक्षाके छात्र थे तभी रामलीला मंचनमें भगवान रामके बनवासका प्रसंग सुनकर उनके मनमें वैराग्य उत्पन्न हुआ और वह रातमें बिना किसीको कुछ बताएं पैदल ही बनारसके लिए प्रस्थान कर दिए। कानपुर लखनऊ आदि अनेक स्थानोंपर विभिन्न साधु-संतोंके दर्शन करते हुए एवं अनुभव प्राप्त करते हुए वह नैमिषारण्य पहुंचे। ब्रह्मचर्यकी दीक्षाके समय उनका नाम प्रबुद्धचैतन्य रखा गया जो बादमें धर्मचैतन्य तथा अंतमें ध्रुवचैतन्य हुआ।

7 नवंबर 1966 को दिल्लीमें पार्लियामेंटके समक्ष आयोजित गोरक्षा सम्मेलनमें भाग लेनेके कारण 9 नवंबरको उन्हें बंदी बना लिया गया था और वह 52 दिनों तक तिहाड़ जेलमें बंद रहे थे। नैमिषसे वे पैदल ही यात्रा पर निकले और 8 महीनोंकी कठिन पैदल यात्रा करते हुए रास्तेमें भूख प्याससे जूझते हुए वे श्रृंगेरी मठ पहुंचे। श्रृंगेरी मठमें वे 87 दिनों तक रहे। कपट पूर्वक नैमिषके अधिपति जी द्वारा बुलवानेपर वे पुनः नैमिष पहुंचे जहां उन्हें अनेक प्रकारकी यातनाओंका सामना करना पड़ा। उन्हें विष भी पिलाया गया जिससे वे भगवानकी इच्छा समझते हुए पी लिए। उनकी हालत बिल्कुल खराब हो गई थी। हां दवाके नामपर उन्हें कांचका चूर्ण भी पिलाया गया था। पुरीमें जगन्नाथ भगवानके दर्शन हेतु वह बनारससे पैदल ही जगन्नाथपुरी आए थे। यहाँ कई आश्रमों और मठोंमें वे प्रसाद भोजन एवं निवासके लिए घूमते रहे किंतु कहीं भी इनको उचित व्यवस्था नहीं मिल सकी थी।

पुरीमठके 144वें शंकराचार्य भगवानकी सेवामें यह कई बार रह चुके थे। किंतु इनके पुरी आनेपर उस पूर्व परिचयका कोई प्रभाव नहीं दिखा। वैशाख कृष्ण एकादशी गुरुवार संवत 2073 तदनुसार 18 अप्रैल 1974 को पूज्यपाद् धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी महाराजके करकमलोंसे इन्होंने सन्यास ग्रहण किया। उन्होंने आपका नाम निश्चलानंद सरस्वती रखा।

सन् 1976 से 1981 तक आपने पूज्य स्वामी करपात्री जी महाराजसे प्रस्थानत्रयी, पंचदशी, वेदांत परिभाषा, न्यायमीमांसा तंत्र आदिका मनोयोगपूर्वक अध्ययन किया। सन् 1982 से 1987 तक आपने तत्कालीन पुरीपीठके शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ जी महाराजसे खंडनखंड और यजुर्वेदादिका विशेष अध्ययन किया। आपने पांच चतुर्मास उनके साथ बिताया था।

श्रीमद्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निरंजन देव तीर्थ जी महाभागने आपको पुरीपीठके शंकराचार्यपदपर पदस्थापित करनेका निश्चय कर लिया था। आपकी प्रतिभा, कुशाग्र बुद्धि एवं सनातन धर्मके प्रति आपकी श्रद्धा एवं गुरुजनोंमें निरंतर आस्थाको देखते हुए उन्होंने आपको सन् 1992 में महाशिवरात्रिके अवसरपर पुरीके 145वें मान्य श्रीमद्जगद्गुरु शंकराचार्यके रूपमें पदास्थापित किया।

छायाचित्र

Written by Shankaracharya Ji

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शुभ कामनाएं

जय जगत् गुरूदेव 🌷🙏हमारी आयु भी आपको लगेआशिर्वाद बनाये रखें श्री गुरूदेव के चरणों में अर्पित । हर हर महादेव 🌷🙏

राकेश कुमार चतुर्वेदी Tweet

Paranam gurudevji

गुरुदेव आपको जन्मदिन की लाखो बधाई. जीवेत शरद: शतम् शतम् इस तुच्छ शिष्यका आपके श्रीचरणोमें कोटी कोटी नमन.🙏

गुरुदेव के श्री चरणों में कोटि कोटि नमन 🙏🏻 गुरुदेव के प्राकट्योत्सव दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🏻 माँ भगवती की कृपा सदैव बनी रहे एवं आपका मार्गदर्शन हमें मिलता रहे बस यही कामना है 🙏🏻 जय श्री गुरुदेव भगवान 🙏🏻 हर हर शंंकर 🙏🏻 जय जय शंकर 🙏🏻

अंशुमाली पांडेय Tweet

Gurudev ke charno me koti koti naman.gurudev aashirvad pradan kare.

जगद्गुरु स्वामी निश्चलानंद जी को रुद्राक्ष दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

पूरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य भगवान को दंडवत प्रणाम🙏 ८० वें प्राकट्योत्सव की अनन्त शुभकामनाएं एवं बधाई 🌺 #राष्ट्रोत्कर्ष_दिवस

अदित्य चतुर्वेदी Tweet

पूरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य भगवान को दंडवत प्रणाम🙏 ८० वें प्राकट्योत्सव की अनन्त शुभकामनाएं एवं बधाई 🌺 #राष्ट्रोत्कर्ष_दिवस

अदित्य चतुर्वेदी Tweet

पूरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य भगवान को दंडवत प्रणाम🙏 ८० वें प्राकट्योत्सव की अनन्त शुभकामनाएं एवं बधाई 🌺 #राष्ट्रोत्कर्ष_दिवस

अदित्य चतुर्वेदी Tweet

Janamdin par gurudev ko hardik shubhkamnaye Gurudev ka kiya hua pran awasya purn ho Jai ho Jagadguru Shankaracharya bhagwan ki jai

आदरणीय गुरुदेव भगवान, आप की कृपा से तो हम तुच्छ मनुष्य का।भी जीवन महान हुआ है, आप।साक्षात शिव अवतार है, है गुरुदेव ऐसे ही कृपा बनाए रखे, और मार्गदर्शन करते रहे। साष्टांग दंडवत

ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्री गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर अनंत विभूषित शिवस्वरुप श्रीमद्जगद्गुरू शंकराचार्य पूज्य गुरुदेव भगवान के श्री चरणों में कोटिशः सकुटुम्बस्य साष्टांग प्रणिपात नमन वंदन अभिनंदन प्रणमामि पुनः पुनः 🙏🙏🌺🌷💐🚩🚩 पूज्य श्री गुरु देव भगवान के अवतरण दिवस "राष्ट्रोत्कर्ष दिवस" की अनंतानंत मंगलमय हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाईयाँ हम हिन्दूराष्ट्र बनाएंगे हम भारत भव्य बनाएंगे हर हिंदू सेना हो हर हिंदू सनातनी हो आपका चरण सेवक संदीप कुमार शुक्ल ग्रेटर नोएडा आदित्य वाहिनी गौ०बु०नगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश

संदीप कुमार शुक्ल शुक्लयजुर्वेदीय Tweet

गुरुदेव श्री को प्रणाम

राष्ट्रोत्कर्ष व धर्मोत्कर्ष के साथ साथ विश्वोत्कर्ष की परम मंगल मय भावना से जिनका हृदय ओत प्रोत है ऐसे महापुरुष श्री पुरी पीठाधीश्वर अनंत श्री विभूषित श्री मज्जगद् गुरु शंकराचार्य भगवान् के श्रीचरणारविंदों में कोटि-कोटि प्रणाम।

पं० राज कुमार मिश्रा Tweet

राष्ट्रोत्कर्ष व धर्मोत्कर्ष के साथ साथ विश्वोत्कर्ष की परम मंगल मय भावना से जिनका हृदय ओत प्रोत है ऐसे महापुरुष श्री पुरी पीठाधीश्वर अनंत श्री विभूषित श्री मज्जगद् गुरु शंकराचार्य भगवान् के श्रीचरणारविंदों में कोटि-कोटि प्रणाम।

पं० राज कुमार मिश्रा Tweet

राष्ट्रोत्कर्ष व धर्मोत्कर्ष के साथ साथ विश्वोत्कर्ष की परम मंगल मय भावना से जिनका हृदय ओत प्रोत है ऐसे महापुरुष श्री पुरी पीठाधीश्वर अनंत श्री विभूषित श्री मज्जगद् गुरु शंकराचार्य भगवान् के श्रीचरणारविंदों में कोटि-कोटि प्रणाम।

पं० राज कुमार मिश्रा Tweet

शङ्कराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज जी को उनके प्रकाशोत्सव की हार्दिक अभिनंदन। हम आपके भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की सेवा में सर्व tarpar हैं।और हमने ये कुछ पंक्तियां रची है भगवान शिव के संदर्ब में। कृपया इसे शीर्षक देने की कृपा करें, धन्यवाद।नमन करते उनको, जो बाधाओं से मुक्त है, चारो दिशाओं में, वेदो के रूप में व्यक्त है। सम्पूर्ण हैं, निर्गुण हैं, विकल्पों से रहित है, आकाश में बसते जो, उनका ये व्यक्तित्व है।ना कोई आकर है, ओंकार के मूल है, ज्ञान की गंगा के, पर्वत रूपी मूल है। काल है, महाकाल है, कृपा के संचार है, गुणों के ऐसे देवता को, हमारा नमस्कार है।हिमालय के सामान जिनका गौरव खड़ा है, माता गंगा को जिन्होंने जटाओं में धरा है। गले में लेके बैठे जो सर्पों का हार है, मस्तक पे विराजे चंद्र, वो महाकाल है।जिनके कानो में कुंडल शोभा पा रहे, सुंदर भृकुटि और, नेत्र सजा रहे। प्रसन मुख, नीला कंठ और दयालु मन है, शेर के वस्त्रों से, ढका जिनका तन है।प्रचंड है, अखंड है, परमेश्वर महान है, कोटि – कोटि सूर्यो के प्रकाश के समान है। भवानी के पति है वो, तेजस्वी रूप में, त्रिशूल के धारक है, रुद्र के स्वरूप में।कलाओं में निपुण, कल्याण जिनका रूप है, प्रलय के है देवता, सज्जनों जैसा स्वरूप है। त्रिपुरासुर के काल है, आनंद में लीन है, मोहो को हरने वाले, ऐसे वो उत्तीर्ण है।जिनको भजने से, मुक्ति मिल जाती है, सुख शांति सब, पास मेरे आती है। भूत और देवता भी साथ जिनको भजते है, कैलाशपति है वो, महादेव मन में बसते है।रचेता :- देवांशु अग्रवाल

देवांशु अग्रवाल Tweet

गुरुदेव के श्री चरणों में दंडवत प्रणाम आप के 80 वे प्राकट्योत्सव पर शुभकामनाएं जय महादेव

घनश्याम सिंह राणावत उज्जैन Tweet

जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी को अवतरण दिवस की शुभकामनाएं। महभाग के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम

जयवेंद्र यादव Tweet

जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी को अवतरण दिवस की शुभकामनाएं। महभाग के चरणों में कोटि कोटि प्रणाम

जयवेंद्र यादव Tweet

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