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brah.ma
/shlok/chaaturvarnyan-maya-srshtan-gunakarmavibhaagashah/

चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः । तस्य कर्तारमपि मां विद्धयकर्तारमव्ययम्‌ ॥

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cāturvarṇyaṅ mayā sṛṣṭaṅ guṇakarmavibhāgaśaḥ. tasya kartāramapi māṅ viddhyakartāramavyayam৷৷4.13৷৷

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ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र- इन चार वर्णों का समूह, गुण और कर्मों के विभागपूर्वक मेरे द्वारा रचा गया है। इस प्रकार उस सृष्टि-रचनादि कर्म का कर्ता होने पर भी मुझ अविनाशी परमेश्वर को तू वास्तव में अकर्ता ही जान॥13॥

- Hem

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः