दृष्टवा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा । आचार्यमुपसंगम्य राजा वचनमब्रवीत् ॥२॥
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dṛṣṭvā tu pāṇḍavānīkaṅ vyūḍhaṅ duryōdhanastadā. ācāryamupasaṅgamya rājā vacanamabravīt. 1.2
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