क्लेशमूलः कर्माशयो दृष्टादृष्टजन्मवेदनीयः॥१२॥
Kleśamūlaḥ karmāśayo dṛṣṭādṛṣṭajanmavedanīyaḥ||12||
Latent impression of action (karma-āśayaḥ), which is based (mūlaḥ) upon Kleśa-s or Afflictions (kleśa), becomes manifest (vedanīyaḥ) in the present life (dṛṣṭa... janma) or in a future life (adṛṣṭajanma)||12||
यदि तुम अपनी चेतना को इन पांच क्लेशों से मुक्त नहीं करते हो तब तुम इस जन्म में भी दुखी रहते हो और आगे भी यह दुःख बना रहता है। पतंजलि कहते हैं, दृष्टादृष्टजन्मवेदनीयः, कोई और रास्ता है ही नहीं, तुम्हें इस जीवन में तो दुःख झेलना ही पड़ता है, इतना ही नहीं, आगे के जन्मों में भी दुःख बना रहता है। क्योंकि यह क्लेश कर्माशय, कर्मों का एक कोष-बैंक जैसा बना देते हैं। कर्माशय, कर्म के एक टैंक जैसा तुम्हारे साथ रहता है। ध्यान के द्वारा ही तुम अभी, इसी समय कर्म को मिटा सकते हैं। इससे पहले कि तुम्हारा शरीर तुम्हें छोड़ दे, तुम अपने कर्म बंधनों से मुक्त हो जाओ और अपने ऊपर की इस अज्ञान की परत को क्षीण कर दो। अन्यथा तुम इससे भाग भी नहीं सकते, दृष्टादृष्टजन्मवेदनीयः, कुछ कर्मों का फल तुम्हें इस जन्म में ही मिल जायेगा और कुछ कर्म आगे आने वाले जन्मों में फलित होने के लिए तुम्हारे साथ रह जायेंगे। कुछ लोग यह तर्क देते हैं कि "यदि तुम आग में अपनी उँगलियाँ डालोगे तो तुम आज जलोगे या कल अथवा अगले वर्ष या कभी और अगले जन्म में जलोगे? हाँ, हर किये हुए कर्म का कुछ फल होता है पर वो यहीं और अभी मिल जाता है। वह कई और वर्षों बाद किसी जन्म में मिलेगा, यह बात ठीक नहीं है।" कुछ लोग ऐसा कहते हैं, पर कर्म के लिए यह एक सही उपमा नहीं है। जैसे तुम आज कुछ बीज बोते हो, तो कुछ बीज २ दिन में ही अंकुरित हो जाते हैं। मटर के बीज डालोगे तो चार पांच दिन में फूटने लगते हैं, इसी तरह यदि तुम नारियल उगाना चाहो तो तीन चार महीने इंतज़ार करना पड़ेगा। आम के फल उगाओगे तो दस वर्ष तक आम आने का इंतज़ार करना होगा पर कटहल उगाओगे तो तुम्हारी अगली पीढ़ी ही उसके फल खा पाएगी। तरह तरह के बीजों के फलित होने की अलग अलग अवधि है इसी तरह भिन्न भिन्न कर्म अलग अलग समयों में फलित होते हैं। कई बार लोग यह प्रश्न पूछते हैं कि "मैं इतना अच्छा हूँ फिर मेरे साथ जीवन में बुरा क्यों हो रहा है?" अच्छे लोगों के साथ बुरा हो ही नहीं सकता पर फिर भी तुम्हें ऐसा लगता है तो तुमने भी कभी कुछ बुरा कर्म किया होगा। अभी चाहे तुम अच्छा कर रहे हो, पर पहले का बुरा कर्म अभी बुरे में फलित हो सकता है। कभी कुछ नीम के बीज डाले होंगे तो अभी कड़वे फल का स्वाद ही आएगा, आज यदि आम बोओगे तो आगे कभी उसका फल मिलेगा। जैसे तुम बीज बोओगे वैसे ही फल मिलेंगे।
Art of Living
Videos Coming Soon!