मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः ।
असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु ॥

mayyāsaktamanāḥ pārtha yōgaṅ yuñjanmadāśrayaḥ.
asaṅśayaṅ samagraṅ māṅ yathā jñāsyasi tacchṛṇu ||

1
1

श्री भगवान बोले- हे पार्थ! अनन्य प्रेम से मुझमें आसक्त चित तथा अनन्य भाव से मेरे परायण होकर योग में लगा हुआ तू जिस प्रकार से सम्पूर्ण विभूति, बल, ऐश्वर्यादि गुणों से युक्त, सबके आत्मरूप मुझको संशयरहित जानेगा, उसको सुन॥1॥

Share this Shlok
or

Know more about your Dev(i)

Trending Shloka

Shrimad Bhagavad Gita

मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः ।
असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु ॥

mayyāsaktamanāḥ pārtha yōgaṅ yuñjanmadāśrayaḥ.
asaṅśayaṅ samagraṅ māṅ yathā jñāsyasi tacchṛṇu ||

श्री भगवान बोले- हे पार्थ! अनन्य प्रेम से मुझमें आसक्त चित तथा अनन्य भाव से मेरे परायण होकर योग में लगा हुआ तू जिस प्रकार से सम्पूर्ण विभूति, बल, ऐश्वर्यादि गुणों से युक्त, सबके आत्मरूप मुझको संशयरहित जानेगा, उसको सुन॥1॥

@beLikeBrahma

website - brah.ma

Join Brahma

Learn Sanatan the way it is!