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Shlok
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Sanskrit shloka on Alasya
आलसी इन्सान को विद्या कहाँ ? विद्याविहीन को धन कहाँ ? धनविहीन को मित्र कहाँ ? और मित्रविहीन को सुख कहाँ ?
आलसी को विद्या कहाँ अनपढ़ / मूर्ख को धन कहाँ निर्धन को मित्र कहाँ और अमित्र को सुख कहाँ |
Lazy cannot acquire knowledge. Without knowledge, wealth cannot be had. Without wealth, you cannot get friends and without friends, there is no happiness.
आळशी माणसाला विद्या कशी मिळणार, ज्याच्याकडे विद्या नाही त्याला संपत्ती कशी मिळणार, ज्याच्याकडे संपत्ती नाही त्याला मित्र कुठून आणि मित्र नसलेल्याला सुख कसे मिळणार? (थोडक्यात आळशी माणसाला सुख मिळणे अवघड आहे).
जो आलस करते हैं उन्हें विद्या नहीं मिलती, जिनके पास विद्या नहीं होती वो धन नहीं कमा सकता, जो निर्धन हैं उनके मित्र नहीं होते और मित्र के बिना सुख की प्राप्ति नहीं होती ।
मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य है, मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र परिश्रम है जो हमेशा उसके साथ रहता है इसलिए वह दुःखी नहीं रहता।
Laziness is verily the great enemy residing in our body. There is no friend like hard work, doing which one doesn’t decline.