Lekh
Shlok
Kavita
Mantra
Bhajan
Sanskrit shloka on Happiness
- Chapter 2 -
Shlok 3
उस व्यक्ति ने धरती पर ही स्वर्ग को पा लिया : १. जिसका पुत्र आज्ञांकारी है, २. जिसकी पत्नी उसकी इच्छा के अनुरूप व्यव्हार करती है, ३. जिसे अपने धन पर संतोष है।
He whose son is obedient to him, whose wife’s conduct is in accordance with his wishes, and who is content with his riches, has his heaven here on earth.
Knowledge gives humility, from humility, one attains character; From character, one acquires wealth; from wealth good deeds (righteousness) follow and then happiness.
विद्या विनय देती है, विनय से पात्रता आती है, पात्रता से धन आता है, धन से धर्म होता है, और धर्म से सुख प्राप्त होता है।
विद्या विनय अर्थात विनम्रता प्रदान करती है ,विनम्रता से मनुष्य योग्यता प्राप्त करता है,अपनी योग्यता के दम पर मनुष्य धन प्राप्त करता है और धन से धार्मिक कार्य समपन्न हो सकते है ,धार्मिक कार्य से असीम आनन्द की प्राप्ति होती है ।इसका अर्थ है कि मनुष्य को सदैव सर्वश्रेष्ठ कार्य करने चाहिये उसीसे सुख की प्राप्ति होती है।इसके मूल मे ये है कि मनुष्य को ज्ञानवान होने की महती आवश्यकता है।
அறிவு மனத்தாழ்மையையும், பணிவு தகுதியையும், தகுதி செல்வத்தையும், செல்வம் நேர்மையையும், நீதியும் மகிழ்ச்சியையும் தருகிறது.