अयोध्या का है सुन्दर नजारा
अयोध्या का है सुन्दर नजारा। ये तो तीर्थो में तीरथ है प्यारा॥टेक॥ अयोध्या है बड़ा मनभावन। हो ये तो भूमि बड़ी है पावन॥ वह प्रेम
अयोध्या का है सुन्दर नजारा। ये तो तीर्थो में तीरथ है प्यारा॥टेक॥ अयोध्या है बड़ा मनभावन। हो ये तो भूमि बड़ी है पावन॥ वह प्रेम
राम राम राम राम राम राम बोलो राम राम राम राम बोलो राम बोलो राम राम राम राम बोलो राम एक ही नाम जपो सुबह
आए हैं प्रभु श्री राम, भरत फूले ना समाते हैं। तन पुलकित मुख बोल ना आए, प्रभु पद कमल रहे हिए लाये। भूमि पड़े हैं
आन मिलो मोहे राम, राम मेरे। मन व्याकुल है, तन बेसुध है, अँखिओं में आ गए प्राण॥ तुम तो दुःख में छोड़ गए हो, तोड़
ऐसें मेरे मन में विराजिये ऐसें मेरे मन में विराजिये की मै भूल जाऊं काम धाम गाऊं बस तेरा नाम भूल जाऊं काम धाम गाऊं
आएंगे वो तारण हार बनके तुम्हारे हर लेंगे दुःख पीड़ा कष्ट ये सारे आएंगे वो तारण हार बनके तुम्हारे हर लेंगे दुःख पीड़ा कष्ट ये
ऐसे हैं मेरे राम, ऐसे हैं मेरे राम, विनय भरा ह्रदय करे सदा जिन्हें प्रणाम। ह्रदय कमल, नयन कमल, सुमुख कमल, चरण कमल, कमल के
जनम सफल होगा रे बन्दे,मन में राम बसा ले मन में राम बसा ले,भोले राम आजा राम भोले राम जय राम राम के मोती को,साँसों
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम श्याम जग में सुन्दर है दो नाम,
पत्थर से पत्थर घिस के पैदा होती चिंगारी पत्थर की नार अहिल्या, पग से श्री राम ने तारी पत्थर के मठ में बैठी, मैया हमारी
मुझे अपनी शरण में, ले लो राम ले लो राम, लोचन मन में जगह ना हो तो, जुगल चरण में ले लो राम, ले लो
राज तिलक की करो तैयारी, राम जी आने वाले है, भगवा वाले हैं, सुनो जी हम भगवा वाले है, भगवा वाले हैं, सुनो जी हम
हे रोम रोम में बसनेवाले राम जगत के स्वामी, हे अंतर्यामी, मैं तुझसे क्या माँगू आस का बंधन तोड़ चूकी हूँ तुझपर सबकुछ छोड़ चूकी
राम अपनी कृपा से राम अपनी कृपा से मुझे भक्ति दे . राम अपनी कृपा से मुझे शक्ति दे .. नाम जपता रहूँ काम करता
ठुमक चलत रामचंद्र ठुमक चलत रामचंद्र बाजत पैंजनियां .. किलकि किलकि उठत धाय गिरत भूमि लटपटाय . धाय मात गोद लेत दशरथ की रनियां ..
मंगल भवन अमंगल हारी द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी राम सिया राम सिया राम जय जय राम – २ हो, होइहै वही जो राम रचि राखा
भये प्रगट कृपाला दीनदयाला कौसल्या हितकारी . हरषित महतारी मुनि मन हारी अद्भुत रूप बिचारी .. लोचन अभिरामा तनु घनस्यामा निज आयुध भुज चारी .
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् . नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् .. १.. कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् .
दाता, लेनेवाला, पावित्र्य, देय वस्तु, देश, और काल – ये छे दान के अंग हैं ।
Donor, taker, recipient, dues, country, and time - these are the six parts of donation.
लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु॥
Coded By brahma
2020 - ∞
ॐ