Lekh
Shlok
Kavita
Mantra
Bhajan
Sanskrit shloka on Surya Dev
- Chapter 4 -
Shlok 4
अर्जुन बोले- आपका जन्म तो अर्वाचीन-अभी हाल का है और सूर्य का जन्म बहुत पुराना है अर्थात कल्प के आदि में हो चुका था। तब मैं इस बात को कैसे समूझँ कि आप ही ने कल्प के आदि में सूर्य से यह योग कहा था
- Chapter 35 -
The multi-coloured rays of the Sun, being dispersed in a cloudy sky, are seen in the form of a bow, which is called the rainbow.
सूर्य के प्रकाश में विद्यमान रहने वाली विभिन्न रङ्ग की किरणें अभ्रों ( मेघों) के द्वारा विघटित हो जाती हैं तदोपरान्त वियत् अर्थात् आकाश में धनु: की आकृति में समञ्जित होकर दिखती हैं , वही इन्द्रधनुष है ।
जिस तरह सूर्य प्रकाश देता है, संवेदना करुणा को जन्म देती है, पुष्प सदैव महकता रहता है, उसी तरह यह नूतन वर्ष आपके लिए हर दिन, हर पल के लिए मंगलमय हो।
जिस तरह सूर्य प्रकाश देता है, पुष्प देता है, संवेदना देता है और हमें दया भाव सिखाता है उसी तरह यह नव वर्ष हमें हर पल ज्ञान दे और हमारा हर दिन, हर पल मंगलमय हो ।
संध्या काल में चन्द्रमा दीपक है, प्रभात काल में सूर्य दीपक है, तीनों लोकों में धर्म दीपक है और सुपुत्र कूल का दीपक है।