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Brahma Kavita | Progessive Bhartiye Articles

Explore the vast knowledge of Sanatan Dharma's foundational principles through our extensive library.

Chand ek din
Ramdhari Singh Dinkar
<p>हठ कर बैठा चांद एक दिन, माता से यह बोला,<br>सिलवा दो माँ मुझे ऊन का मोटा एक झिंगोला ।<br>सन-सन चल...
Jab aag lage
Ramdhari Singh Dinkar
<p><a href="http://brah.ma">सीखो नित नूतन ज्ञान,नई परिभाषाएं,</a><br>जब आग लगे,गहरी समाधि में रम जाओ...
Raja vasant krituon ki rani
Ramdhari Singh Dinkar
<p><a href="http://brah.ma">राजा वसन्त वर्षा ऋतुओं की रानी</a><br>लेकिन दोनों की कितनी भिन्न कहानी<b...
मेरे नगपति! मेरे विशाल!
Ramdhari Singh Dinkar
<p>== हिमालय ==</p><p>मेरे नगपति! मेरे विशाल!<br>साकार, दिव्य, गौरव विराट्,<br>पौरुष के पुन्जीभूत ज्...
Bhagwaan ke dakiye
Ramdhari Singh Dinkar
<p>पक्षी और बादल,<br><a href="http://iam.brah.ma">ये भगवान के डाकिए हैं</a><br>जो एक महादेश से<br>दू...
Padhakoo Ki soojh
Ramdhari Singh Dinkar
<p><a href="http://iam.brah.ma">एक पढ़क्कू बड़े तेज थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे,</a><br>जहाँ न कोई बात,...
Raat yo kahne laga mujhse gagan ka chand
Ramdhari Singh Dinkar
<p><a href="http://iam.brah.ma">रात यों कहने लगा मुझसे गगन का चाँद,</a><br>आदमी भी क्या अनोखा जीव हो...
Krishna ki chetawani
Ramdhari Singh Dinkar
<h4>कृष्ण-</h4><p>वर्षों तक वन में घूम-घूम,<br>बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,<br>सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,<b...
Roti aur swadhinta (Ajaadi)
Ramdhari Singh Dinkar
<p>(1)<br><a href="http://iam.brah.ma">आजादी</a> तो मिल गई, मगर, यह गौरव कहाँ जुगाएगा ?<br>मरभुखे ! ...
Avkash wali sabhyata
Ramdhari Singh Dinkar
<p>मैं रात के अँधेरे में<br>सिताओं की ओर देखता हूँ<br>जिन की रोशनी भविष्य की ओर जाती है</p><p>अनागत ...
Vyal Vijay
Ramdhari Singh Dinkar
<p><a href="http://iam.brah.ma">झूमें झर चरण के नीचे मैं उमंग में गाऊँ.</a><br>तान, तान, फण व्याल! क...
Madhyam
Ramdhari Singh Dinkar
<p>मैं माध्यम हूँ, मौलिक विचार नहीं,<br><a href="http://iam.brah.ma">कनफ़्युशियस ने कहा ।</a></p><p>...
Swarg
Ramdhari Singh Dinkar
<p><a href="http://iam.brah.ma">स्वर्ग</a> की जो कल्पना है,<br>व्यर्थ क्यों कहते उसे तुम?<br>धर्म बत...
Kalam ya talwar
Ramdhari Singh Dinkar
<p><a href="http://iam.brah.ma">दो में से क्या तुम्हे चाहिए कलम या कि तलवार</a><br>मन में ऊँचे भाव क...
Humare Krishak
Ramdhari Singh Dinkar
<p><a href="http://iam.brah.ma">जेठ हो कि हो पूस, हमारे कृषकों को आराम नहीं है</a><br>छूटे कभी संग ब...
Geet Ka janm
Dushyant Kumar
<p><a href="http://iam.brah.ma">एक अन्धकार बरसाती रात में</a><br>बर्फ़ीले दर्रों-सी ठंडी स्थितियों म...
Tumne is talab me rohu pakadne ke liye
Dushyant Kumar
<p>तुमने इस तालाब में रोहू पकड़ने के लिए</p><p>छोटी—छोटी मछलियाँ चारा बनाकर फेंक दीं</p><p>हम ही खा ...
Main jise odhta bicchata hun
Dushyant Kumar
<p>मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ<br>वो ग़ज़ल आपको सुनाता हूँ</p><p>एक जंगल है तेरी आँखों में<br>मैं जहाँ...
Agar khuda na kare sach ye khwaab ho jaye
Dushyant Kumar
<p>अगर ख़ुदा न करे सच ये ख़्वाब हो जाए</p><p>तेरी सहर हो मेरा आफ़ताब हो जाए</p><p>हुज़ूर! आरिज़ो-ओ-र...
Wo nigaahein salib hain
Dushyant Kumar
<p>वो निगाहें सलीब है</p><p>हम बहुत बदनसीब हैं</p><p>आइये आँख मूँद लें</p><p>ये नज़ारे अजीब हैं</p><...
Ab to path yhi hai
Dushyant Kumar
<p>जिंदगी ने कर लिया स्वीकार,<br>अब तो पथ यही है|</p><p>अब उभरते ज्वार का आवेग मद्धिम हो चला है,<br>...
Ye dhuen ka ek ghera
Dushyant Kumar
<p>ये <a href="http://iam.brah.ma">धुएँ</a> का एक घेरा कि मैं जिसमें रह रहा हूँ</p><p>मुझे किस क़दर ...
roj jab raat ko baraha ka gajar hota hain
Dushyant Kumar
<p>रोज़ जब रात को बारह का गजर होता है<br>यातनाओं के अँधेरे में सफ़र होता है</p><p>कोई रहने की जगह है...
Yeh jo sahtir hai palkon pe utha lo yaaro
Dushyant Kumar
<p>ये जो शहतीर है पलकों पे उठा लो यारो<br>अब कोई ऐसा तरीका भी निकालो यारो</p><p>दर्दे—दिल वक़्त पे प...
Tumhare paaon ke neeche koi zameen nhi
Dushyant Kumar
<p>तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं<br>कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यक़ीन नहीं</p><p>मैं बेपनाह ...
Aag jalti rahe
Dushyant Kumar
<p><a href="http://iam.brah.ma">एक</a> तीखी आँच ने<br>इस जन्म का हर पल छुआ,<br>आता हुआ दिन छुआ<br><a...
Is nadi ki dhar me thandi hawa aati to hai
Dushyant Kumar
<p>इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,<br>नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।</p><p>एक चिनगार...
Dhoop ye athkheliyan roz karti hai
Dushyant Kumar
<p>धूप ये अठखेलियाँ हर रोज़ करती है</p><p>एक छाया सीढ़ियाँ चढ़ती—उतरती है</p><p>यह दिया चौरास्ते का ...
Tepa sammelan ke liye gazal
Dushyant Kumar
<p>टेपा सम्मेलन के लिए ग़ज़ल-</p><p>याद आता है कि मैं हूँ शंकरन या मंकरन<br>आप रुकिेए फ़ाइलों में दे...
Apahij vyatha
Dushyant Kumar
<p><a href="http://iam.brah.ma">अपाहिज व्यथा को सहन कर रहा हूँ,</a><br>तुम्हारी कहन थी, कहन कर रहा ह...
Ek kabutar chhithi lekar
Dushyant Kumar
<p>एक कबूतर चिठ्ठी ले कर पहली—पहली बार उड़ा</p><p>मौसम एक गुलेल लिये था पट—से नीचे आन गिरा</p><p>बंज...
Aaj veeran apna ghar dekha
Dushyant Kumar
<p>आज वीरान अपना घर देखा</p><p>तो कई बार झाँक कर देखा</p><p>पाँव टूटे हुए नज़र आये</p><p>एक ठहरा हुआ...
Kaun yha aaya tha
Dushyant Kumar
<p>कौन यहाँ आया था<br>कौन दिया बाल गया<br>सूनी घर-देहरी में<br>ज्योति-सी उजाल गया</p><p>पूजा की बेदी...
Hone lagi hai jism me jumbish to dekhiye
Dushyant Kumar
<p>होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिये</p><p>इस पर कटे परिंदे की कोशिश तो देखिये</p><p>गूँगे निकल...
Tune ye harsingar hila kar bura kiya
Dushyant Kumar
<p>तूने ये हरसिंगार हिलाकर बुरा किया<br>पांवों की सब जमीन को फूलों से ढंक लिया</p><p>किससे कहें कि छ...
Ab kisi ko bhi nazar aati nhi koi darar
Dushyant Kumar
<p>अब किसी को भी नज़र आती नहीं कोई दरार<br>घर की हर दीवार पर चिपके हैं इतने इश्तहार</p><p>आप बच कर च...
Jindagani ka koi maksad nhi hai
Dushyant Kumar
<p>ज़िंदगानी का कोई मक़सद नहीं है</p><p>एक भी क़द आज आदमक़द नहीं है</p><p>राम जाने किस जगह होंगे क़ब...
Baayein se udke daayein disha ko garuda gaya
Dushyant Kumar
<p>बाएँ से उड़के दाईं दिशा को गरुड़ गया</p><p>कैसा शगुन हुआ है कि बरगद उखड़ गया</p><p>इन खँडहरों में...
Mere swapn tumhare pass sahara paane aayenge
Dushyant Kumar
<p>मेरे स्वप्न तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे<br>इस बूढ़े पीपल की छाया में सुस्ताने आएँगे</p><p>हौले-...
Ghantiyon ki awaaz kaano tak pahunchti hai
Dushyant Kumar
<p>घंटियों की आवाज़ कानों तक पहुँचती है<br>एक नदी जैसे दहानों तक पहुँचती है</p><p>अब इसे क्या नाम दे...
Ye jubaan humse si nhi jaati
Dushyant Kumar
<p>ये ज़ुबाँ हमसे सी नहीं जाती</p><p>ज़िन्दगी है कि जी नहीं जाती</p><p>इन सफ़ीलों में वो दरारे हैं</...
Kaha to tay tha charaga har ek ghar ke liye
Dushyant Kumar
<p>कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये<br>कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये</p><p>यहाँ दरख़्तों ...
Ye sach hai ki paaon ne bahut kasht uthaye
Dushyant Kumar
<p>ये सच है कि पाँवों ने बहुत कष्ट उठाए</p><p>पर पाँवों किसी तरह से राहों पे तो आए</p><p>हाथों में अ...
Baadh ki sambhavnayein saame hain
Dushyant Kumar
<p>बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं,<br>और नदियों के किनारे घर बने हैं ।</p><p>चीड़-वन में आँधियों की बात...
Vida ke baad pratiksha
Dushyant Kumar
<p>परदे हटाकर करीने से<br>रोशनदान खोलकर<br>कमरे का फर्नीचर सजाकर<br>और स्वागत के शब्दों को तोलकर<br>...
Jaane kis kiska khyal aaya hai
Dushyant Kumar
<p>जाने किस—किसका ख़्याल आया है</p><p>इस समंदर में उबाल आया है</p><p>एक बच्चा था हवा का झोंका</p><p>...
Tumko niharta hu subah se Kritambara
Dushyant Kumar
<p>तुमको निहारता हूँ सुबह से ऋतम्बरा<br>अब शाम हो रही है मगर मन नहीं भरा</p><p>ख़रगोश बन के दौड़ रहे...
Phir kar lene do pyaar priye
Dushyant Kumar
<p>अब अंतर में अवसाद नहीं<br>चापल्य नहीं उन्माद नहीं<br>सूना-सूना सा जीवन है<br>कुछ शोक नहीं आल्हाद ...
Apni premika se
Dushyant Kumar
<p>मुझे स्वीकार हैं वे हवाएँ भी<br>जो तुम्हें शीत देतीं<br>और मुझे जलाती हैं<br>किन्तु<br>इन हवाओं क...
Haalate jism surat-e jaan aur bhi kharab
Dushyant Kumar
<p>हालाते जिस्म, सूरते-जाँ और भी ख़राब<br>चारों तरफ़ ख़राब यहाँ और भी ख़राब</p><p>नज़रों में आ रहे ह...
Labz ehsas se chhane lage hai
Dushyant Kumar
<p>लफ़्ज़ एहसास-से छाने लगे, ये तो हद है<br>लफ़्ज़ माने भी छुपाने लगे, ये तो हद है</p><p>आप दीवार गि...
Kisi ko kya pta tha is ada par mar mitenge
Dushyant Kumar
<p>किसी को क्या पता था इस अदा पर मर मिटेंगे हम</p><p>किसी का हाथ उठ्ठा और अलकों तक चला आया</p><p>वो ...
Bahut sambhal ke rakhi to payemal hue
Dushyant Kumar
<p>बहुत सँभाल के रक्खी तो पाएमाल हुई</p><p>सड़क पे फेंक दी तो ज़िंदगी निहाल हुई</p><p>बड़ा लगाव है इ...
Is mod se tum mud gayi fir rah sooni ho gyi
Dushyant Kumar
<p>इस मोड़ से तुम मुड़ गई फिर राह सूनी हो गई।</p><p>मालूम था मुझको कि हर धारा नदी होती नहीं<br>हर वृ...
Nazar Nawaaz Nazara badal na jaaye kahin
Dushyant Kumar
<p>नज़र-नवाज़ नज़ारा बदल न जाए कहीं<br>जरा-सी बात है मुँह से निकल न जाए कहीं</p><p>वो देखते है तो लग...
Kyu
Gaurav
<h4><strong>क्यूँ</strong></h4><p>चिंताओं से ग्रसित है जीवन,<br>आशाओं से भ्रमित है जीवन,<br>लोभ मोह ...
Brahma
Gaurav
<p>ब्रम्ह से ब्रम्हांड है ।<br>ब्रम्ह ही तो ज्ञान है ।।<br>ब्रम्ह वेदो का सार है ।<br>ब्रम्ह ही पुरा...
pak gaee hain aadaten baaton se sar hongee nahin
Dushyant Kumar
<p>पक गई हैं आदतें बातों से सर होंगी नहीं<br>कोई हंगामा करो ऐसे गुज़र होगी नहीं</p><p>इन ठिठुरती उँग...
Ek gudia ki kayi katputliyon me jaan hai
Dushyant Kumar
<p>एक गुड़िया की कई कठपुतलियों में जान है</p><p>आज <a href="http://instagram.com/belikebrahma">शायर<...
Ek Aashrivaad
<p>जा तेरे स्वप्न बड़े हों।</p><p>भावना की गोद से उतर कर<br>जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें।</p><p>चाँद ता...
Suna ghar
Dushyant Kumar
<p>सूने घर में किस तरह सहेजूँ मन को।</p><p>पहले तो लगा कि अब आईं तुम, आकर<br>अब हँसी की लहरें काँपी ...
Mere geet tumhaare paas sahaara paane aaenge
Dushyant Kumar
<p>मेरे गीत तुम्हारे पास सहारा पाने आएँगे</p><p>मेरे बाद तुम्हें ये मेरी याद दिलाने आएँगे</p><p>हौले...
Ho gaee hai peer parvat-see pighalanee chaahie
Dushyant Kumar
<p>हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,<br>इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।</p><p>आज यह दीवार, परद...
Is raaste ke naam likho ek shaam aur
Dushyant Kumar
<p>इस रास्ते के नाम लिखो एक शाम और</p><p>या इसमें रौशनी का करो इन्तज़ाम और</p><p>आँधी में सिर्फ़ हम ...
Chandni chhath pe chal rhi hogi
Dushyant Kumar
<p>चांदनी छत पे चल रही होगी<br>अब अकेली टहल रही होगी</p><p>फिर मेरा ज़िक्र आ गया होगा<br>बर्फ़-सी वो...
Mat kaho, aakash mein kuhra ghana hai
Dushyant Kumar
<p>मत कहो, आकाश में कुहरा घना है,<br>यह किसी की व्यक्तिगत आलोचना है ।</p><p>सूर्य हमने भी नहीं देखा ...
Puraane pad gaye dar, phenk do tum bhi
<p>पुराने पड़ गये डर, फेंक दो तुम भी</p><p>ये कचरा आज बाहर फेंक दो तुम भी</p><p>लपट आने लगी है अब हव...
Marna lga rahega yha ji to lijiye
Dushyant Kumar
<p>मरना लगा रहेगा यहाँ जी तो लीजिए &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &nbsp; &n...
Aaj sadkon par likhe hain sainkro naare na dekh
<p>आज सड़कों पर लिखे हैं सैंकड़ों नारे न देख<br>घर अँधेरा देख तू आकाश के तारे न देख</p><p>एक दरिया ह...
Kahin pe dhoop
Dushyant Kumar
<p>कहीं पे धूप की चादर बिछा के बैठ गए<br>कहीं पे शाम सिरहाने लगा के बैठ गए ।</p><p>जले जो रेत में तल...
Ye raushni hai hakikat mein ek chhal
Dushyant Kumar
<p>ये रौशनी है हक़ीक़त में एक छल, लोगो<br>कि जैसे जल में झलकता हुआ महल, लोगो</p><p>दरख़्त हैं तो परि...
Bhook hai to sabra kar
Dushyant Kumar
<p>भूख है तो सब्र कर रोटी नहीं तो क्या हुआ<br>आजकल दिल्ली में है ज़ेर-ए-बहस ये मुदद्आ ।</p><p>मौत ने...
Apahiz vyatha ko vahan kar rha hu
Dushyant Kumar
<p>अपाहिज व्यथा को वहन कर रहा हूँ<br>तुम्हारी कहन थी, कहन कर रहा हूँ</p><p>ये दरवाज़ा खोलें तो खुलता...
Parinde ab bhi par tole hue hai
<p>परिन्दे अब भी पर तोले हुए हैं<br>हवा में सनसनी घोले हुए हैं</p><p>तुम्हीं कमज़ोर पड़ते जा रहे हो<...
Khandar bache hue hai, imarat nhi rahi
Dushyant Kumar
<p>खँडहर बचे हुए हैं, इमारत नहीं रही<br>अच्छा हुआ कि सर पे कोई छत नहीं रही</p><p>कैसी मशालें ले के च...
Dekh dahleez se koi nhi jaane wali
Dushyant Kumar
<p>देख, दहलीज़ से काई नहीं जाने वाली<br>ये ख़तरनाक सचाई नहीं जाने वाली</p><p>कितना अच्छा है कि साँसो...
Dekh dahleez se kai nhi jaane wali
Dushyant Kumar
<p>देख, दहलीज़ से काई नहीं जाने वाली<br>ये ख़तरनाक सचाई नहीं जाने वाली</p><p>कितना अच्छा है कि साँसो...
Chalo phagun ki khusiyan manayein
Bhavani Prasad Mishra
<p>चलो, फागुन की खुशियाँ मनाएँ!<br>आज पीले हैं सरसों के खेत, लो;<br>आज किरनें हैं कंचन समेत, लो;<br>...
Saal dar saal
Bhavani Prasad Mishra
<p>साल शुरू हो दूध दही से,<br>साल खत्म हो शक्कर घी से,<br>पिपरमेंट, बिस्किट मिसरी से<br>रहें लबालब द...
पंद्रह अगस्त का दिन कहता
Atal Bihari Bajpaye
<p>पंद्रह अगस्त का दिन कहता:<br>आज़ादी अभी अधूरी है।<br>सपने सच होने बाकी है,<br>रावी की शपथ न पूरी ...
मातृ वंदना
Suryakant Tripathi Nirala
<p>नर जीवन के स्वार्थ सकल<br>बलि हों तेरे चरणों पर, माँ<br>मेरे श्रम सिंचित सब फल।<br><br>जीवन के रथ...
वेणु लो, गूँजे धरा
Makhanlal Chaturvedi
<p>वेणु लो, गूँजे धरा मेरे सलोने श्याम<br>एशिया की गोपियों ने वेणि बाँधी है<br>गूँजते हों गान,गिरते ...
झर पड़ता जीवन-डाली से
Sumitranandan Pant
<p>झर पड़ता जीवन-डाली से<br>मैं पतझड़ का-सा जीर्ण-पात!--<br>केवल, केवल जग-कानन में<br>लाने फिर से मध...
aaj sindhu men jvaar uthaa hai
Atal Bihari Bajpaye
<p>आज सिंधु में ज्वार उठा है<br>नगपति फिर ललकार उठा है<br>कुरुक्षेत्र के कण–कण से फिर<br>पांचजन्य हु...
मैं अखिल विश्व का गुरू महान
Atal Bihari Bajpaye
<p>मैं अखिल विश्व का गुरू महान,<br>देता विद्या का अमर दान,<br>मैंने दिखलाया मुक्ति मार्ग<br>मैंने सि...
न दैन्यं न पलायनम्
Atal Bihari Bajpaye
<p>कर्तव्य के पुनीत पथ को<br>हमने स्वेद से सींचा है,<br>कभी-कभी अपने अश्रु और—<br>प्राणों का अर्ध्य ...
कण्ठ-कण्ठ में एक राग है
Atal Bihari Bajpaye
<p>माँ के सभी सपूत गूँथते ज्वलित हृदय की माला।<br>हिन्दुकुश से महासिंधु तक जगी संघटन-ज्वाला।<br><br>...
आए जिस-जिस की हिम्मत हो
Atal Bihari Bajpaye
<p>हिन्दु महोदधि की छाती में धधकी अपमानों की ज्वाला<br>और आज आसेतु हिमाचल मूर्तिमान हृदयों की माला ।...
ध्वज गीत विजयनी तेरी पताक
Mahadevi Verma
<p>विजयनी तेरी पताका!<br><br>तू नहीं है वस्त्र तू तो<br>मातृ भू का ह्रदय ही है,<br>प्रेममय है नित्य ...
पुरुष प्रिया
Ramdhari Singh Dinkar
<p>मैं वरुण भानु-सा अरुण भूमि पर<br>उतरा रुद्र-विषाण लिए,<br>सिर पर ले वह्नि-किरीट दीप्ति का<br>तेजव...
मातृ मन्दिर में
Subhadra Kumari Chauhan
<p>वीणा बज-सी उठी, खुल गए नेत्र<br>और कुछ आया ध्यान।<br>मुड़ने की थी देर, दिख पड़ा<br>उत्सव का प्यार...
विनय
Suryakant Tripathi Nirala
<p>पथ पर मेरा जीवन भर दो,</p><p>बादल हे, अनंत अंबर के!</p><p>बरस सलिल, गति ऊर्मिल कर दो!</p><p>तट हो...
कुपथ रथ दौड़ाता जो
Jankivallabh Shastri
<p>उतर रेत में, आक जवास भरे खेत में<br>पागल बादल,<br>शून्य गगन में ब्यर्थ मगन मंड्लाता है!<br>इतराता...
बादल हैं किसके काका ?
Subhadra Kumari Chauhan
<p>अभी अभी थी धूप, बरसने<br>लगा कहाँ से यह पानी<br>किसने फोड़ घड़े बादल के<br>की है इतनी शैतानी।</p>...
मरण-दृश्य
Suryakant Tripathi Nirala
<p>कहा जो न, कहो !<br>नित्य – नूतन, प्राण, अपने<br>गान रच-रच दो !</p><p>विश्व सीमाहीन;<br>बाँधती जात...
मिथिला में शरत्‌
Ramdhari Singh Dinkar
<p>किस स्वप्न-लोक से छवि उतरी?</p><p>ऊपर निरभ्र नभ नील-नील,<br>नीचे घन-विम्बित झील-झील।<br>उत्तर किर...
रात आधी हो गई है
Harivansh Rai Bachchan
<p>रात आधी हो गई है!</p><p>जागता मैं आँख फाड़े,<br>हाय, सुधियों के सहारे,<br>जब कि दुनिया स्‍वप्‍न क...
साल शुरू हो, साल खत्म हो !
Bhavani Prasad Mishra
<p>साल शुरू हो दूध दही से<br>साल खत्म हो शक्कर घी से<br>पिपरमैंट, बिस्कुट मिसरी से<br>रहें लबालव दोन...
ध्वनि
Suryakant Tripathi Nirala
<p>अभी न होगा मेरा अन्त</p><p>अभी-अभी ही तो आया है<br>मेरे वन में मृदुल वसन्त-<br>अभी न होगा मेरा अन...
धीरे धीरे उतर क्षितिज से
Mahadevi Verma
<p>धीरे धीरे उतर क्षितिज से<br>आ वसन्त-रजनी!<br><br>तारकमय नव वेणीबन्धन<br>शीश-फूल कर शशि का नूतन,<b...
बीते दिन कब आने वाले
Harivansh Rai Bachchan
<p>बीते दिन कब आने वाले!<br><br>मेरी वाणी का मधुमय स्‍वर,<br>विश्‍व सुनेगा कान लगाकर,<br>दूर गए पर म...
पढ़क्‍कू की सूझ
Ramdhari Singh Dinkar
<p>एक पढ़क्कू बड़े तेज थे, तर्कशास्त्र पढ़ते थे,<br>जहाँ न कोई बात, वहाँ भी नए बात गढ़ते थे।<br><br>...
बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं
Dushyant Kumar
<p>बाढ़ की संभावनाएँ सामने हैं,<br>और नदियों के किनारे घर बने हैं ।</p><p>चीड़-वन में आँधियों की बात...
रागभीनी तू सजनि निश्वास भी तेरे रँगीले
Mahadevi Verma
<p>रागभीनी तू सजनि निश्वास भी तेरे रँगीले!<br><br>लोचनों में क्या मदिर नव?<br>देख जिसकी नीड़ की सुधि...
उनकी याद करें
Atal Bihari Bajpaye
<p>जो बरसों तक सड़े जेल में, उनकी याद करें।<br>जो फाँसी पर चढ़े खेल में, उनकी याद करें।<br><br>याद क...
अधिकार
Mahadevi Verma
<p>वे मुस्काते फूल, नहीं<br>जिनको आता है मुर्झाना,<br>वे तारों के दीप, नहीं<br>जिनको भाता है बुझ जान...
कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं
Dushyant Kumar
<p>कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं<br>गाते-गाते लोग चिल्लाने लगे हैं<br><br>अब तो इस तालाब का पानी बदल ...
खुला आसमान
Suryakant Tripathi Nirala
<p>बहुत दिनों बाद खुला आसमान!<br>निकली है धूप, खुश हुआ जहान!<br><br>दिखी दिशाएँ, झलके पेड़,<br>चरने ...
जीना भी एक कला है
Jankivallabh Shastri
<p>जीना भी एक कला है .<br>इसे बिना जाने हीं, मानव बनने कौन चला है&nbsp;?<br>फिसले नहीं,चलें, चटटानों...
पर्वत की अभिलाषा
Makhanlal Chaturvedi
<p>तू चाहे मुझको हरि, सोने का मढ़ा सुमेरु बनाना मत,<br>तू चाहे मेरी गोद खोद कर मणि-माणिक प्रकटाना मत...
प्यारे भारत देश
Makhanlal Chaturvedi
<p>प्यारे भारत देश<br>गगन-गगन तेरा यश फहरा<br>पवन-पवन तेरा बल गहरा<br>क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले<br...
प्रतिशोध
Maithilisharan Gupt
<p>किसी जन ने किसी से क्लेश पाया<br>नबी के पास वह अभियोग लाया।<br>मुझे आज्ञा मिले प्रतिशोध लूँ मैं।<...
अमृतकाल का आह्वान
Narendra Modi
<p>मुक्त मातृभूमि को,<br>नवीन मान चाहिए।<br>नवीन पर्व के लिए,&nbsp;<br>नवीन प्राण चाहिए।।</p><p>मुक्...
Aanokha daan
Subhadra Kumari Chauhan
<p>अपने बिखरे भावों का मैं<br>गूँथ अटपटा सा यह हार।<br>चली चढ़ाने उन चरणों पर,<br>अपने हिय का संचित ...
Aaradhna
Subhadra Kumari Chauhan
<p>जब मैं आँगन में पहुँची,<br>पूजा का थाल सजाए।<br>शिवजी की तरह दिखे वे,<br>बैठे थे ध्यान लगाए॥<br><...
Iska rona
Subhadra Kumari Chauhan
<p>तुम कहते हो - मुझको इसका रोना नहीं सुहाता है |<br>मैं कहती हूँ - इस रोने से अनुपम सुख छा जाता है ...
Upeksha
Subhadra Kumari Chauhan
<p>इस तरह उपेक्षा मेरी,<br>क्यों करते हो मतवाले!<br>आशा के कितने अंकुर,<br>मैंने हैं उर में पाले॥<br...
Ullas
Subhadra Kumari Chauhan
<p>शैशव के सुन्दर प्रभात का<br>मैंने नव विकास देखा।<br>यौवन की मादक लाली में<br>जीवन का हुलास देखा।।...
Kalah kaaran
Subhadra Kumari Chauhan
<p>कड़ी आराधना करके बुलाया था उन्हें मैंने।<br>पदों को पूजने के ही लिए थी साधना मेरी॥<br>तपस्या नेम ...
Koyal
Subhadra Kumari Chauhan
<p>देखो कोयल काली है पर<br>मीठी है इसकी बोली<br>इसने ही तो कूक कूक कर<br>आमों में मिश्री घोली<br><br...
kathin praytano se samagri
Subhadra Kumari Chauhan
<p>कठिन प्रयत्नों से सामग्री मैं बटोरकर लाई थी।<br>बड़ी उमंगों से मन्दिर में, पूजा करने आई थी॥<br>पा...
Khilonewala
Subhadra Kumari Chauhan
<p>वह देखो माँ आज<br>खिलौनेवाला फिर से आया है।<br>कई तरह के सुंदर-सुंदर<br>नए खिलौने लाया है।<br><br...
Giraftar hone wale hain
Subhadra Kumari Chauhan
<p>‘‘गिरफ़्तार होने वाले हैं, आता है वारंट अभी॥’’<br>धक-सा हुआ हृदय, मैं सहमी, हुए विकल साशंक सभी॥<b...
chalte samay
Subhadra Kumari Chauhan
<p>तुम मुझे पूछते हो ’जाऊँ’?<br>मैं क्या जवाब दूँ, तुम्हीं कहो!<br>’जा...’ कहते रुकती है जबान<br>किस...
Chinta
Subhadra Kumari Chauhan
<p>लगे आने, हृदय धन से<br>कहा मैंने कि मत आओ।<br>कहीं हो प्रेम में पागल<br>न पथ में ही मचल जाओ॥<br><...
Jaaliyawala bagh me basant
Subhadra Kumari Chauhan
<p>यहाँ कोकिला नहीं, काग हैं, शोर मचाते,<br>काले काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।<br><br>कलियाँ भी अध...
Jeevan fool
Subhadra Kumari Chauhan
<p>मेरे भोले मूर्ख हृदय ने<br>कभी न इस पर किया विचार।<br>विधि ने लिखी भाल पर मेरे<br>सुख की घड़ियाँ ...
Jhansi Ki rani
Subhadra Kumari Chauhan
<p>सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,<br>बूढ़े भारत में भी आई फिर से नयी जवानी थी,<br>गुमी ...
Jhansi ki rani ki samadhi per
Subhadra Kumari Chauhan
<p>इस समाधि में छिपी हुई है, एक राख की ढेरी |<br>जल कर जिसने स्वतंत्रता की, दिव्य आरती फेरी ||<br>यह...
Jhilmil taare
Subhadra Kumari Chauhan
<p>कर रहे प्रतीक्षा किसकी हैं<br>झिलमिल-झिलमिल तारे?<br>धीमे प्रकाश में कैसे तुम<br>चमक रहे मन मारे।...
Thukra do ya pyar karo
Subhadra Kumari Chauhan
<p>देव! तुम्हारे कई उपासक कई ढंग से आते हैं<br>सेवा में बहुमूल्य भेंट वे कई रंग की लाते हैं<br><br>ध...
Tum
Subhadra Kumari Chauhan
<p>जब तक मैं मैं हूँ, तुम तुम हो,<br>है जीवन में जीवन।<br>कोई नहीं छीन सकता<br>तुमको मुझसे मेरे धन॥<...
Tum Manini Radhe
Subhadra Kumari Chauhan
<p>थी मेरा आदर्श बालपन से तुम मानिनि राधे!<br>तुम-सी बन जाने को मैंने व्रत नियमादिक साधे॥<br>अपने को...
Tum mujhe pucchte ho
Subhadra Kumari Chauhan
<p>यह मुरझाया हुआ फूल है, इसका हृदय दुखाना मत।<br>स्वयं बिखरनेवाली इसकी, पँखड़ियाँ बिखराना मत॥<br>गु...
Neem
Subhadra Kumari Chauhan
<p>सब दुखहरन सुखकर परम हे नीम! जब देखूँ तुझे।<br>तुहि जानकर अति लाभकारी हर्ष होता है मुझे॥<br>ये लहल...
Parichay
Subhadra Kumari Chauhan
<p>क्या कहते हो कुछ लिख दूँ मैं<br>ललित-कलित कविताएं।<br>चाहो तो चित्रित कर दूँ<br>जीवन की करुण कथाए...
Paani aur dhoop
Subhadra Kumari Chauhan
<p>अभी अभी थी धूप, बरसने<br>लगा कहाँ से यह पानी<br>किसने फोड़ घड़े बादल के<br>की है इतनी शैतानी।<br>...
Puccho
Subhadra Kumari Chauhan
<p>विफल प्रयत्न हुए सारे,<br>मैं हारी, निष्ठुरता जीती।<br>अरे न पूछो, कह न सकूँगी,<br>तुमसे मैं अपनी...
Pratham darshan
Subhadra Kumari Chauhan
<p>प्रथम जब उनके दर्शन हुए,<br>हठीली आँखें अड़ ही गईं।<br>बिना परिचय के एकाएक<br>हृदय में उलझन पड़ ह...
Pratiksha
Subhadra Kumari Chauhan
<p>बिछा प्रतीक्षा-पथ पर चिंतित<br>नयनों के मदु मुक्ता-जाल।<br>उनमें जाने कितनी ही<br>अभिलाषाओं के पल...
Prabhu tum mere man ki jano
Subhadra Kumari Chauhan
<p>मैं अछूत हूँ, मंदिर में आने का मुझको अधिकार नहीं है।<br>किंतु देवता यह न समझना, तुम पर मेरा प्यार...
Priyatam se
Subhadra Kumari Chauhan
<p>बहुत दिनों तक हुई परीक्षा<br>अब रूखा व्यवहार न हो।<br>अजी, बोल तो लिया करो तुम<br>चाहे मुझ पर प्य...
Fool ki prati
Subhadra Kumari Chauhan
<p>डाल पर के मुरझाए फूल!<br>हृदय में मत कर वृथा गुमान।<br>नहीं है सुमन कुंज में अभी<br>इसी से है तेर...
Balika ka parichay
Subhadra Kumari Chauhan
<p>यह मेरी गोदी की शोभा, सुख सोहाग की है लाली.<br>शाही शान भिखारन की है, मनोकामना मतवाली .<br><br>दी...
Bidai
Subhadra Kumari Chauhan
<p>कृष्ण-मंदिर में प्यारे बंधु<br>पधारो निर्भयता के साथ।<br>तुम्हारे मस्तक पर हो सदा<br>कृष्ण का वह ...
Bhaiya Krishna
Subhadra Kumari Chauhan
<p>भैया कृष्ण! भेजती हूँ मैं राखी अपनी, यह लो आज।<br>कई बार जिसको भेजा है सजा-सजाकर नूतन साज॥<br>लो ...
Bhram
Subhadra Kumari Chauhan
<p>देवता थे वे, हुए दर्शन, अलौकिक रूप था।<br>देवता थे, मधुर सम्मोहन स्वरूप अनूप था॥<br>देवता थे, देख...
Madhumay Pyali
Subhadra Kumari Chauhan
<p>रीती होती जाती थी<br>जीवन की मधुमय प्याली।<br>फीकी पड़ती जाती थी<br>मेरे यौवन की लाली।।<br><br>हँ...
Murjhaya fool
Subhadra Kumari Chauhan
<p>यह मुरझाया हुआ फूल है,<br>इसका हृदय दुखाना मत।<br>स्वयं बिखरने वाली इसकी<br>पंखड़ियाँ बिखराना मत॥...
Mera geet
Subhadra Kumari Chauhan
<p>जब अंतस्तल रोता है,<br>कैसे कुछ तुम्हें सुनाऊँ?<br>इन टूटे से तारों पर,<br>मैं कौन तराना गाऊँ??<b...
Mera jeevan
Subhadra Kumari Chauhan
<p>मैंने हँसना सीखा है<br>मैं नहीं जानती रोना;<br>बरसा करता पल-पल पर<br>मेरे जीवन में सोना।<br><br>म...
Mera naya bachpan
Subhadra Kumari Chauhan
<p>बार-बार आती है मुझको मधुर याद बचपन तेरी।<br>गया ले गया तू जीवन की सबसे मस्त खुशी मेरी॥<br><br>चिं...
Mera tek
Subhadra Kumari Chauhan
<p>निर्धन हों धनवान, परिश्रम उनका धन हो।<br>निर्बल हों बलवान, सत्यमय उनका मन हो॥<br>हों स्वाधीन गुला...
Meri kavita
Subhadra Kumari Chauhan
<p>मुझे कहा कविता लिखने को, लिखने मैं बैठी तत्काल।<br>पहिले लिखा- ‘‘जालियाँवाला’’, कहा कि ‘‘बस, हो ग...
Mere pathik
Subhadra Kumari Chauhan
<p>हठीले मेरे भोले पथिक!<br>किधर जाते हो आकस्मात।<br>अरे क्षण भर रुक जाओ यहाँ,<br>सोच तो लो आगे की ब...
Mere bhole saral hriday ne
Subhadra Kumari Chauhan
<p>मेरे भोले सरल हृदय ने कभी न इस पर किया विचार-<br>विधि ने लिखी भाल पर मेरे सुख की घड़ियाँ दो ही चा...
Yah kadamb ka ped
Subhadra Kumari Chauhan
<p>यह कदंब का पेड़ अगर माँ होता यमुना तीरे।<br>मैं भी उस पर बैठ कन्हैया बनता धीरे-धीरे॥<br><br>ले दे...
Yah murjhaya hua fool
Subhadra Kumari Chauhan
<p>यह मुरझाया हुआ फूल है, इसका हृदय दुखाना मत।<br>स्वयं बिखरनेवाली इसकी, पँखड़ियाँ बिखराना मत॥<br>गु...
Rakhi
Subhadra Kumari Chauhan
<p>भैया कृष्ण&nbsp;! भेजती हूँ मैं<br>राखी अपनी, यह लो आज।<br>कई बार जिसको भेजा है<br>सजा-सजाकर नूतन...
Rakhi ki chunauti
Subhadra Kumari Chauhan
<p>बहिन आज फूली समाती न मन में।<br>तड़ित आज फूली समाती न घन में।।<br>घटा है न झूली समाती गगन में।<br...
Vijayi mayur
Subhadra Kumari Chauhan
<p>तू गरजा, गरज भयंकर थी,<br>कुछ नहीं सुनाई देता था।<br>घनघोर घटाएं काली थीं,<br>पथ नहीं दिखाई देता ...
Vida
Subhadra Kumari Chauhan
<p>अपने काले अवगुंठन को<br>रजनी आज हटाना मत।<br>जला चुकी हो नभ में जो<br>ये दीपक इन्हें बुझाना मत॥<b...
Veeron ka kaisa ho vasant
Subhadra Kumari Chauhan
<p>आ रही हिमालय से पुकार<br>है उदधि गरजता बार बार<br>प्राची पश्चिम भू नभ अपार;<br>सब पूछ रहें हैं दि...
Vedna
Subhadra Kumari Chauhan
<p>दिन में प्रचंड रवि-किरणें<br>मुझको शीतल कर जातीं।<br>पर मधुर ज्योत्स्ना तेरी,<br>हे शशि! है मुझे ...
Vyakul chah
Subhadra Kumari Chauhan
<p>सोया था संयोग उसे<br>किस लिए जगाने आए हो?<br>क्या मेरे अधीर यौवन की<br>प्यास बुझाने आए हो??<br><b...
Sabha ka khel
Subhadra Kumari Chauhan
<p>सभा सभा का खेल आज हम<br>खेलेंगे जीजी आओ,<br>मैं गाधी जी, छोटे नेहरू<br>तुम सरोजिनी बन जाओ।<br><br...
Samarpan
Subhadra Kumari Chauhan
<p>सूखी सी अधखिली कली है<br>परिमल नहीं, पराग नहीं।<br>किंतु कुटिल भौंरों के चुंबन<br>का है इन पर दाग...
Saadh
Subhadra Kumari Chauhan
<p>मृदुल कल्पना के चल पँखों पर हम तुम दोनों आसीन।<br>भूल जगत के कोलाहल को रच लें अपनी सृष्टि नवीन।।<...
Saaki
Subhadra Kumari Chauhan
<p>अरे! ढाल दे, पी लेने दे! दिल भरकर प्यारे साक़ी।<br>साध न रह जाये कुछ इस छोटे से जीवन की बाक़ी॥<br...
Smritiyan
Subhadra Kumari Chauhan
<p>क्या कहते हो? किसी तरह भी<br>भूलूँ और भुलाने दूँ?<br>गत जीवन को तरल मेघ-सा<br>स्मृति-नभ में मिट ज...
Swadesh ke prati
Subhadra Kumari Chauhan
<p>आ, स्वतंत्र प्यारे स्वदेश आ,<br>स्वागत करती हूँ तेरा।<br>तुझे देखकर आज हो रहा,<br>दूना प्रमुदित म...
He kaale kaale badal
Subhadra Kumari Chauhan
<p>हे काले-काले बादल, ठहरो, तुम बरस न जाना।<br>मेरी दुखिया आँखों से, देखो मत होड़ लगाना॥<br>तुम अभी-...
Koi paar nadi ke gata
Harivansh Rai Bachchan
<p>कोई पार नदी के गाता!<br><br>भंग निशा की नीरवता कर,<br>इस देहाती गाने का स्वर,<br>ककड़ी के खेतों स...
Agnipath
Harivansh Rai Bachchan
<p>वृक्ष हों भले खड़े,<br>हों घने हों बड़े,<br>एक पत्र छाँह भी,<br>माँग मत, माँग मत, माँग मत,<br>अग्...
Kya hai meri bari me
Harivansh Rai Bachchan
<p>क्या है मेरी बारी में।<br><br>जिसे सींचना था मधुजल से<br>सींचा खारे पानी से,<br>नहीं उपजता कुछ भी...
Lo din bita lo raat gayi
Harivansh Rai Bachchan
<p>सूरज ढल कर पच्छिम पंहुचा,<br>डूबा, संध्या आई, छाई,<br>सौ संध्या सी वह संध्या थी,<br>क्यों उठते-उठ...
Kshan bhar ko kyu pyaar kiya tha
Harivansh Rai Bachchan
<p>क्षण भर को क्यों प्यार किया था?<br><br>अर्द्ध रात्रि में सहसा उठकर,<br>पलक संपुटों में मदिरा भर<b...
Aise mai man ko behlata hun
Harivansh Rai Bachchan
<p>सोचा करता बैठ अकेले,<br>गत जीवन के सुख-दुख झेले,<br>दंशनकारी सुधियों से मैं उर के छाले सहलाता हूँ...
Aatmparichay
Harivansh Rai Bachchan
<p>मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,<br><br>फिर भी जीवन में प्‍यार लिए फिरता हूँ;<br><br>कर दिया किस...
Mai kal raat nhi roya tha
Harivansh Rai Bachchan
<p>मैं कल रात नहीं रोया था<br><br>दुख सब जीवन के विस्मृत कर,<br>तेरे वक्षस्थल पर सिर धर,<br>तेरी गोद...
Need ka nirman
Harivansh Rai Bachchan
<p>नीड़ का निर्माण फिर-फिर,<br>नेह का आह्वान फिर-फिर!<br><br>वह उठी आँधी कि नभ में<br>छा गया सहसा अँ...
Trahi trahi kar uthta jeevan
Harivansh Rai Bachchan
<p>त्राहि, त्राहि कर उठता जीवन!<br><br>जब रजनी के सूने क्षण में,<br>तन-मन के एकाकीपन में<br>कवि अपनी...
Itne mat unmatt bano
Harivansh Rai Bachchan
<p>इतने मत उन्‍मत्‍त बनो!</p><p>जीवन मधुशाला से मधु पी</p><p>बनकर तन-मन-मतवाला,</p><p>गीत सुनाने लगा...
Swapn tha mera bhayankar
Harivansh Rai Bachchan
<p>स्वप्न था मेरा भयंकर!<br><br>रात का-सा था अंधेरा,<br>बादलों का था न डेरा,<br>किन्तु फिर भी चन्द्र...
Tum toofan samajh paoge
Harivansh Rai Bachchan
<p>गीले बादल, पीले रजकण,<br>सूखे पत्ते, रूखे तृण घन<br>लेकर चलता करता 'हरहर'--इसका गान समझ पाओगे?<br...
Raat aadhi kheench kar meri hatheli
Harivansh Rai Bachchan
<p>रात आधी, खींच कर मेरी हथेली एक उंगली से लिखा था 'प्यार' तुमने।<br><br>फ़ासला था कुछ हमारे बिस्तरो...
Meghdoot ke prati
Harivansh Rai Bachchan
<p>"मेघ" जिस जिस काल पढ़ता,<br>मैं स्वयं बन मेघ जाता!<br><br>हो धरणि चाहे शरद की<br>चाँदनी में स्नान...
Saathi saanjh lagi ab hone
Harivansh Rai Bachchan
<p>फैलाया था जिन्हें गगन में,<br>विस्तृत वसुधा के कण-कण में,<br>उन किरणों के अस्ताचल पर पहुँच लगा है...
Geet mere
Harivansh Rai Bachchan
<p>गीत मेरे, देहरी का दीप-सा बन।<br>एक दुनिया है हृदय में, मानता हूँ,<br>वह घिरी तम से, इसे भी जानता...
Lahar sagar ka sringar nahi
Harivansh Rai Bachchan
<p>लहर सागर का नहीं श्रृंगार,<br>उसकी विकलता है;<br>अनिल अम्बर का नहीं खिलवार<br>उसकी विकलता है;<br>...
Aa rahi ravi ki savari
Harivansh Rai Bachchan
<p>आ रही रवि की सवारी।<br><br>नव-किरण का रथ सजा है,<br>कलि-कुसुम से पथ सजा है,<br>बादलों-से अनुचरों ...
Chidiya aur churungun
Harivansh Rai Bachchan
<p>छोड़ घोंसला बाहर आया,<br>देखी डालें, देखे पात,<br>और सुनी जो पत्‍ते हिलमिल,<br>करते हैं आपस में ब...
Patjhad ki shaam
Harivansh Rai Bachchan
<p>है यह पतझड़ की शाम, सखे&nbsp;!<br>&nbsp;</p><p><br>नीलम-से पल्लव टूट ग‌ए,<br>मरकत-से साथी छूट ग‌ए...
Rashtriya Dhwaj
Harivansh Rai Bachchan
<p>नागाधिराज श्रृंग पर खडी हु‌ई,<br>समुद्र की तरंग पर अडी हु‌ई,<br>स्वदेश में जगह-जगह गडी हु‌ई,<br>अ...
Saajan aaye, Saavan aaya
Harivansh Rai Bachchan
<p>अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं,<br>साजन आ‌ए, सावन आया।<br><br>धरती की जलती साँसों ने<br>मेरी साँसों म...
Pratiksha
Harivansh Rai Bachchan
<p>मधुर प्रतीक्षा ही जब इतनी प्रिय तुम आते तब क्या होता?</p><p><br>मौन रात इस भान्ति कि जैसे, कोइ गत...
Chale mardaane
Harivansh Rai Bachchan
<p>चल मरदाने, सीना ताने,<br>हाथ हिलाते, पांव बढाते,<br>मन मुस्काते, गाते गीत ।<br>&nbsp;</p><p><br>ए...
Aadarsh Prem
Harivansh Rai Bachchan
<p>प्यार किसी को करना लेकिन<br>कह कर उसे बताना क्या<br>अपने को अर्पण करना पर<br>और को अपनाना क्या<br...
Aaj phir se
Harivansh Rai Bachchan
<p>आज फिर से तुम बुझा दीपक जलाओ ।</p><p><br>है कंहा वह आग जो मुझको जलाए,<br>है कंहा वह ज्वाल पास मेर...
Aatmadeep
Harivansh Rai Bachchan
<p>मुझे न अपने से कुछ प्यार,<br>मिट्टी का हूँ, छोटा दीपक,<br>ज्योति चाहती, दुनिया जब तक,<br>मेरी, जल...
Ajaadi ka geet
Harivansh Rai Bachchan
<p>हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल<br><br>चांदी, सोने, हीरे मोती से सजती गुड़िया<br>इनसे आतंकित करने...
Bahut dino per
Harivansh Rai Bachchan
<p>मैं तो बहुत दिनों पर चेता ।</p><p><br>श्रम कर ऊबा<br>श्रम कण डूबा<br>सागर को खेना था मुझको रहा शि...
Ekaant sangeet
Harivansh Rai Bachchan
<p>तट पर है तरुवर एकाकी,<br>नौका है, सागर में,<br>अंतरिक्ष में खग एकाकी,<br>तारा है, अंबर में,<br><b...
Drawing room me marta hua gulab
Harivansh Rai Bachchan
<p>गुलाब<br>तू बदरंग हो गया है<br>बदरूप हो गया है<br>झुक गया है<br>तेरा मुंह चुचुक गया है<br>तू चुक ...
Iss paar uss paar
Harivansh Rai Bachchan
<p>इस पार, प्रिये मधु है तुम हो, उस पार न जाने क्या होगा!<br><br>यह चाँद उदित होकर नभ में कुछ ताप मि...
Jao kalpit saathi man ke
Harivansh Rai Bachchan
<p>जाओ कल्पित साथी मन के!<br><br>जब नयनों में सूनापन था,<br>जर्जर तन था, जर्जर मन था,<br>तब तुम ही अ...
Jo beet gayi so baat gayi
Harivansh Rai Bachchan
<p>जो बीत गई सो बात गई<br><br>जीवन में एक सितारा था<br>माना वह बेहद प्यारा था<br>वह डूब गया तो डूब ग...
Kavi ki vaasna
Harivansh Rai Bachchan
<p>कह रहा जग वासनामय<br>हो रहा उद्गार मेरा!<br><br>१<br><br>सृष्टि के प्रारंभ में<br>मैने उषा के गाल...
Kis kar me yah veena dhar dun
Harivansh Rai Bachchan
<p>देवों ने था जिसे बनाया,<br>देवों ने था जिसे बजाया,<br>मानव के हाथों में कैसे इसको आज समर्पित कर द...
Koi gata mai so jata
Harivansh Rai Bachchan
<p>संसृति के विस्तृत सागर में<br>सपनों की नौका के अंदर<br>दुख सुख की लहरों मे उठ गिर<br>बहता जाता, म...
Saathi sab kuch sahna hoga
Harivansh Rai Bachchan
<p>साथी, सब कुछ सहना होगा!<br><br>मानव पर जगती का शासन,<br>जगती पर संसृति का बंधन,<br>संसृति को भी औ...
Jugnu
Harivansh Rai Bachchan
<p>अँधेरी रात में दीपक जलाए कौन बैठा है?<br>&nbsp;</p><p>उठी ऐसी घटा नभ में<br>&nbsp;</p><p>छिपे सब ...
Kahte hain taare gaate hain
Harivansh Rai Bachchan
<p>सन्नाटा वसुधा पर छाया,<br>नभ में हमनें कान लगाया,<br>फ़िर भी अगणित कंठो का यह राग नहीं हम सुन पात...
Kya bhulu kya yaad karu mai
Harivansh Rai Bachchan
<p>अगणित उन्मादों के क्षण हैं,<br>अगणित अवसादों के क्षण हैं,<br>रजनी की सूनी घड़ियों को किन-किन से आ...
Mera sambal
Harivansh Rai Bachchan
<p>मैं जीवन की हर हल चल में<br>कुछ पल सुखमय,<br>अमरण अक्षय,<br>चुन लेता हूँ।<br><br>मैं जग के हर कोल...
Mujhse chand kaha karta hai
Harivansh Rai Bachchan
<p>मुझ से चाँद कहा करता है--<br><br>चोट कड़ी है काल प्रबल की,<br>उसकी मुस्कानों से हल्की,<br>राजमहल ...
Path ki pehchan
Harivansh Rai Bachchan
<p>पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले<br><br>पुस्तकों में है नहीं छापी गई इसकी कहानी,<br>हाल इस...
Sathi saath na dega dukh bhi
Harivansh Rai Bachchan
<p>काल छीनने दु:ख आता है<br>जब दु:ख भी प्रिय हो जाता है<br>नहीं चाहते जब हम दु:ख के बदले चिर सुख भी!...
Yatra aur yatri
Harivansh Rai Bachchan
<p>साँस चलती है तुझे<br>चलना पड़ेगा ही मुसाफिर!<br><br>चल रहा है तारकों का<br>दल गगन में गीत गाता,<b...
Yug ki udasi
Harivansh Rai Bachchan
<p>अकारण ही मैं नहीं उदास<br>&nbsp;</p><p><br>अपने में ही सिकुड सिमट कर<br>जी लेने का बीता अवसर<br>ज...
Aaj mujhse bol badal
Harivansh Rai Bachchan
<p>आज मुझसे बोल, बादल!<br>&nbsp;</p><p><br>तम भरा तू, तम भरा मैं,<br>ग़म भरा तू, ग़म भरा मैं,<br>आज ...
Kya karun samvedna lekar tumhari
Harivansh Rai Bachchan
<p>क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी?<br>क्या करूँ?<br><br>मैं दुखी जब-जब हुआ<br>संवेदना तुमने दिखाई,<...
Saathi so na kar kuch baat
Harivansh Rai Bachchan
<p>साथी सो न कर कुछ बात।<br><br>पूर्ण कर दे वह कहानी,<br>जो शुरू की थी सुनानी,<br>आदि जिसका हर निशा ...
Tab rok na paya mai aansu
Harivansh Rai Bachchan
<p>जिसके पीछे पागल होकर<br>मैं दौडा अपने जीवन-भर,<br>जब मृगजल में परिवर्तित हो मुझ पर मेरा अरमान हंस...
Tum gaa do mera gaan amar ho jayega
Harivansh Rai Bachchan
<p>तुम गा दो, मेरा गान अमर हो जाए!<br>&nbsp;</p><p><br>मेरे वर्ण-वर्ण विश्रंखल,<br>चरण-चरण भरमाए,<br...
Aaj tum mere liye ho
Harivansh Rai Bachchan
<p>प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।<br><br>मैं जगत के ताप से डरता नहीं अब,<br>मैं समय के शाप से डर...
Manushya ki murti
Harivansh Rai Bachchan
<p>देवलोक से मिट्टी लाकर<br>मैं मनुष्य की मूर्ति बनाता!<br><br>रचता मुख जिससे निकली हो<br>वेद-उपनिषद...
Hum aise azaad
Harivansh Rai Bachchan
<p>हम ऐसे आज़ाद हमारा झंडा है बादल|<br>&nbsp;</p><p>चांदी-सोने-हीरे-मोती से सजती गुडियाँ|<br>इनसे आत...
Uss paar na jaane kya hoga
Harivansh Rai Bachchan
<p>इस पार, प्रिये मधु है तुम हो,<br>उस पार न जाने क्या होगा!<br>यह चाँद उदित होकर नभ में<br>कुछ ताप ...
Reedh ki haddi
Harivansh Rai Bachchan
<p>मैं हूँ उनके साथ,खड़ी जो सीधी रखते अपनी रीढ़</p><p>कभी नही जो तज सकते हैं, अपना न्यायोचित अधिकार<...
Hinya nahi kou humar
Harivansh Rai Bachchan
<p>अस्‍त रवि<br>ललौंछ रंजित पच्छिमी नभ;<br>क्षितिज से ऊपर उठा सिर चल कर के<br>एक तारा<br>मद-आभा<br>उ...
Ek aur janzeer tadakti hai
Harivansh Rai Bachchan
<p>एक और जंजीर तड़कती है, भारत मां की जय बोलो।<br><br>इन जंजीरों की चर्चा में कितनों ने निज हाथ बँधा...
Jeevan ka din beet chuka tha
Harivansh Rai Bachchan
<p>[सुभाष बोस के प्रति]<br><br>जीवन का दिन बीत चुका था,<br>छाई थी जीवन की रात,<br>किंतु नहीं मैंने छ...
Ho gayi maun bulbule hind
Harivansh Rai Bachchan
<p>[सरोजिनी नायडू की मृत्यु पर]<br><br>हो गई मौन बुलबुले-हिंद!<br><br>मधुबन की सहसा रुकी साँस,<br>सब...
Garm loha
Harivansh Rai Bachchan
<p>गर्म लोहा पीट, ठंडा पीटने को वक्त बहुतेरा पड़ा है।<br>सख्त पंजा, नस कसी चौड़ी कलाई<br>और बल्लेदार...
Toota hua insaan
Harivansh Rai Bachchan
<p>(मुक्तिबोध का शव देखने की स्मृति)*<br><br>...और उसकी चेतना जब जगी<br>मौजों के थपेड़े लग रहे थे,<b...
Maun aur Shabd
Harivansh Rai Bachchan
<p>एक दिन मैंने<br>मौन में शब्द को धँसाया था<br>और एक गहरी पीड़ा,<br>एक गहरे आनंद में,<br>सन्निपात-ग...
Shaheed ki ma
Harivansh Rai Bachchan
<p>इसी घर से<br>एक दिन<br>शहीद का जनाज़ा निकला था,<br>तिरंगे में लिपटा,<br>हज़ारों की भीड़ में।<br>क...
Kadam badhane wale
Harivansh Rai Bachchan
<p>अगर तुम्हारा मुकाबला<br>दीवार से है,<br>पहाड़ से है,<br>खाई-खंदक से,<br>झाड़-झंकाड़ से है<br>तो द...
Ek naya anubhav
Harivansh Rai Bachchan
<p>मैनें चिड़िया से कहा, मैं तुम पर एक<br>कविता लिखना चाहता हूँ।<br>चिड़िया नें मुझ से पूछा, 'तुम्हा...
Do pidhiyan
Harivansh Rai Bachchan
<p>मुंशी जी तन्नाए<br>पर जब उनसे कहा गया,<br>ऎसा जुल्म और भी सह चुके हैं<br>तो चले गए दुम दबाए।<br><...
Kyun jeeta hun
Harivansh Rai Bachchan
<p>आधे से ज़्यादा जीवन<br>जी चुकने पर मैं सोच रहा हूँ-<br>क्यों जीता हूँ?<br>लेकिन एक सवाल अहम<br>इस...
Kaun milanatur nahi hai
Harivansh Rai Bachchan
<p>आक्षितिज फैली हुई मिट्टी निरन्तर पूछती है,<br>कब कटेगा, बोल, तेरी चेतना का शाप,<br>और तू हों लीन ...
Hai andheri raat per diwa jalana kab mna hai
Harivansh Rai Bachchan
<p>कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना था<br>भावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था।<br><br>स्वप्न...
Teer per kaise ruku mai aaj lehron me nimantran
Harivansh Rai Bachchan
<p>तीर पर कैसे रुकूँ मैं, आज लहरों में निमंत्रण!<br>रात का अंतिम प्रहर है, झिलमिलाते हैं सितारे,<br>...
Kyun paida kiya tha?
Harivansh Rai Bachchan
<p>ज़िन्दगी और ज़माने की<br>कशमकश से घबराकर<br>मेरे बेटे मुझसे पूछते हैं कि<br>हमें पैदा क्यों किया ...
udayati mihiro,vigalati timiro
Jankivallabh Shastri
<p>उदयति मिहिरो,विगलति तिमिरो<br>भुवनं कथमभिरामम्<br>प्रचरति चतुरो मधुकरनिकरो<br>गुंजति कथमविरामम्॥<...
Mauz
Jankivallabh Shastri
<p>सब अपनी-अपनी कहते हैं!<br>कोई न किसी की सुनता है,<br>नाहक कोई सिर धुनता है,<br>दिल बहलाने को चल फ...
Kisne bansuri bajai
Jankivallabh Shastri
<p>जनम-जनम की पहचानी वह तान कहाँ से आई&nbsp;!<br>किसने बाँसुरी बजाई<br><br>अंग-अंग फूले कदंब साँस झक...
Gam na ho pass
Jankivallabh Shastri
<p>ग़म न हो पास इसी से उदास मेरा मन ।<br>साँस चलती है, चिहुँक चेतता नहीं है तन ।।<br><br>नींद ऐसी न ...
Raktmukh
Jankivallabh Shastri
<p>कुपथ कुपथ रथ दौड़ाता जो<br>पथ निर्देशक वह है,<br>लाज लजाती जिसकी कृति से<br>धृति उपदेश वह है,<br>...
Jindagi ki kahani
Jankivallabh Shastri
<p>&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;ज़िंदगी की कहानी रही अनकही&nbsp;!<br>&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;...
Majhi usko majhdaar na kah
Jankivallabh Shastri
<p>रुक गयी नाव जिस ठौर स्वयं, माझी, उसको मझधार न कह&nbsp;!<br><br>&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbsp;&nbs...
Kya vah bhi arman tumhara
Jankivallabh Shastri
<p>क्या वह भी अरमान तुम्हारा?<br><br>जो मेरे नयनों के सपने,<br>जो मेरे प्राणों के अपने ,<br>दे-दे कर...
Sandhyatara kyu nihara jayega
Jankivallabh Shastri
<p>सांध्यतारा क्यों निहारा जायेगा ।<br>और मुझसे मन न मारा जायेगा ॥<br><br>विकल पीर निकल पड़ी उर चीर ...
Dukh ko sumukh bnao gao
Jankivallabh Shastri
<p>दुख को सुमुख बनाओ, गाओ&nbsp;!<br>काली घटा छंटेगी कैसे&nbsp;?<br>रिमझिम-रिमझिम स्वर बरसाओ&nbsp;!<b...
Khinchta jata tez timir tanta kya fera
Jankivallabh Shastri
<p>खिंचता जाता तेज, तिमिर तनता, क्या फेरा<br>अरे, सवेरा भी होगा या सदा अँधेरा&nbsp;?<br><br>रहे अँधे...
Yah peer purani ho
Jankivallabh Shastri
<p>यह पीर पुरानी हो&nbsp;!<br>मत रहो हाय, मैं, जग में मेरी एक कहानी हो।<br><br>मैं चलता चलूँ निरन्तर...
Tan chala sang per praan rah jate hai
Jankivallabh Shastri
<p>तन चला संग, पर प्राण रहे जाते हैं&nbsp;!<br><br>जिनको पाकर था बेसुध, मस्त हुआ मैं,<br>उगते ही उगत...
Kitna nithur yah uphaas
Jankivallabh Shastri
<p>कितना निठुर यह उपहास&nbsp;!<br>जो अजाने ही गया, वह था मधुर मधुमास&nbsp;!<br>कितना निठुर यह उपहास&...
Gandh vedna
Jankivallabh Shastri
<p>केसर-कुंकुम का लहका दिगन्त है<br>गंध की अनन्त वेदना वसन्त<br><br>चीर उर न और<br>धुंधलाए वन की<br>...
Rang lage ang
Jankivallabh Shastri
<p>रंग लाए अंग चम्पई<br>नई लता के<br>धड़कन बन तरु को<br>अपराधिन-सी ताके<br>फड़क रही थी कोंपल<br>आँखु...
Bauraye badal
Jankivallabh Shastri
<p>क्या खाकर बौराए बादल?<br>झुग्गी-झोंपड़ियाँ उजाड़ दीं<br>कंचन-महल नहाए बादल!<br><br>दूने सूने हुए ...
Syah safed
Jankivallabh Shastri
<p>स्याह-सफ़ेद डालकर साए<br>मेरा रंग पूछने आए&nbsp;!<br><br>मैं अपने में कोरा-सादा<br>मेरा कोई नहीं ...
Ae vatan yaad hai kisne tujhe azaad kiya
Jankivallabh Shastri
<p>ऐ वतन याद है किसने तुझे आज़ाद किया&nbsp;?<br>कैसे आबाद किया&nbsp;? किस तरह बर्बाद किया&nbsp;?<br>...
Gulshan na raha gulchin na raha
Jankivallabh Shastri
<p>गुलशन न रहा, गुलचीं न रहा, रह गई कहानी फूलों की,<br>महमह करती-सी वीरानी आख़िरी निशानी फूलों की ।<...
Mera naam pukar rahe tum
Jankivallabh Shastri
<p>मेरा नाम पुकार रहे तुम,<br>अपना नाम छिपाने को&nbsp;!<br><br>सहज-सजा मैं साज तुम्हारा-<br>दर्द बजा...
Bna ghonsla pinjra panchhi
Jankivallabh Shastri
<p>बना घोंसला पिंजरा पंछी&nbsp;!<br><br>अब अनंत से कौन मिलाये<br>जिससे तू खुद बिछड़ा पंछी&nbsp;!<br>...
Chand ka fool
Jankivallabh Shastri
<p>चान्द का फूल खिला ताल में गगन के।<br><br>दर्द की सर्द हवा ग़म की नमी में डूबी,<br>कसमसाहट की क़सम...
To jaanu
Jankivallabh Shastri
<p>तीखे काँटों को<br>फूलों का शृंगार बना दो तो जानूँ।<br><br>वीरान ज़िन्दगी की ख़ातिर<br>कोई न कभी म...
Aur kaso taar
Jankivallabh Shastri
<p>और कसो तार, तार सप्तक मैं गाऊँ।<br><br>ऐसी ठोकर दो मिजराब की अदा से<br>गूँज उठे सन्नाटा सुरों की ...
Chauraste ki jindagi
Jankivallabh Shastri
<p>मैली-मैली चान्दनी, चन्दा मुखड़ा फीका,<br>ऐसा काग़ज़ फैला जैसे हो कलंक-टीका।<br><br>आंसुओं टँके सप...
Desh humara
Jankivallabh Shastri
<p>टुसिआए पाकड़ पर बैठकर भुजंगा<br>बोल रहा ठाकुर जी, देख रहा दंगा।<br><br>भावों की मार-काट मिली-जुली...
Jeevan ki hi jai ho
Maithilisharan Gupt
<p>मृषा मृत्यु का भय है<br>जीवन की ही जय है ।<br><br>जीव की जड़ जमा रहा है<br>नित नव वैभव कमा रहा है...
Nahush ka patan
Maithilisharan Gupt
<p>मत्त-सा नहुष चला बैठ ऋषियान में<br>व्याकुल से देव चले साथ में, विमान में<br>पिछड़े तो वाहक विशेषत...
चारुचंद्र की चंचल किरणें
Maithilisharan Gupt
<p>चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,<br>स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल मे...
Sakhi wo mujhse kah kar jaate
Maithilisharan Gupt
<p>सखि, वे मुझसे कहकर जाते,<br>कह, तो क्या मुझको वे अपनी पथ-बाधा ही पाते?<br><br>मुझको बहुत उन्होंने...
Aarya
Maithilisharan Gupt
<p>हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी<br>आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी<br>भू लोक ...
Kisan
Maithilisharan Gupt
<p>हेमन्त में बहुधा घनों से पूर्ण रहता व्योम है<br>पावस निशाओं में तथा हँसता शरद का सोम है<br><br>हो...
Nar ho na nirash karo man ko
Maithilisharan Gupt
<p>नर हो, न निराश करो मन को<br><br>कुछ काम करो, कुछ काम करो<br>जग में रह कर कुछ नाम करो<br>यह जन्म ह...
Kushalgeet
Maithilisharan Gupt
<p>हाँ, निशान्त आया,<br>तूने जब टेर प्रिये, कान्त, कान्त, उठो, गाया---<br>चौँक शकुन-कुम्भ लिये हाँ, ...
Arjun ki pratigya
Maithilisharan Gupt
<p>उस काल मारे क्रोध के तन काँपने उसका लगा,<br>मानों हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा ।<br>मुख-बाल-रव...
Dono or prem patla hai
Maithilisharan Gupt
<p>दोनों ओर प्रेम पलता है।<br>सखि, पतंग भी जलता है हा! दीपक भी जलता है!<br><br>सीस हिलाकर दीपक कहता-...
Manushyata
Maithilisharan Gupt
<p>विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी¸<br>मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी।<br>हुई न यों ...
Mujhe fool mat maro
Maithilisharan Gupt
<p>मुझे फूल मत मारो,<br>मैं अबला बाला वियोगिनी, कुछ तो दया विचारो।<br>होकर मधु के मीत मदन, पटु, तुम ...
Sishir na phir giri van me
Maithilisharan Gupt
<p>शिशिर न फिर गिरि वन में<br>जितना माँगे पतझड़ दूँगी मैं इस निज नंदन में<br>कितना कंपन तुझे चाहिए ल...
Nirakh sakhi ye khanjan aaye
Maithilisharan Gupt
<p>निरख सखी ये खंजन आए<br>फेरे उन मेरे रंजन ने नयन इधर मन भाए<br>फैला उनके तन का आतप मन से सर सरसाए<...
Matribhumi
Maithilisharan Gupt
<p>नीलांबर परिधान हरित पट पर सुन्दर है।<br>सूर्य-चन्द्र युग मुकुट, मेखला रत्नाकर है॥<br>नदियाँ प्रेम...
Bharat mata ka mandir yah
Maithilisharan Gupt
<p>भारत माता का मंदिर यह<br>समता का संवाद जहाँ,<br>सबका शिव कल्याण यहाँ है<br>पावें सभी प्रसाद यहाँ ...
Gungaan
Maithilisharan Gupt
<p>तेरे घर के द्वार बहुत हैं,<br>किसमें हो कर आऊं मैं?<br>सब द्वारों पर भीड़ मची है,<br>कैसे भीतर जा...
Ekant me yashodhara
Maithilisharan Gupt
<p>आओ हो वनवासी!<br>अब गृह भार नहीं सह सकती<br>देव तुम्हारी दासी!!<br><br>राहुल पल कर जैसे तैसे,<br>...
Bhajo bharat ko tan man se
Maithilisharan Gupt
<p>भजो भारत को तन-मन से।<br>बनो जड़ हाय! न चेतन से॥<br><br>करते हो किस इष्ट देव का आँख मूँद का ध्यान...
Bharat ka jhanda
Maithilisharan Gupt
<p>भारत का झण्डा फहरै।<br>छोर मुक्ति-पट का क्षोणी पर,<br>छाया काके छहरै॥<br><br>मुक्त गगन में, मुक्त...
Matri bhumi
Maithilisharan Gupt
<p>जय भारत-भूमि-भवानी!<br>अमरों ने भी तेरी महिमा बारंबार बखानी।<br><br>तेरा चन्द्र-वदन वर विकसित शान...
Bharatvarsh
Maithilisharan Gupt
<p>मस्तक ऊँचा हुआ मही का, धन्य हिमालय का उत्कर्ष।<br>हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भार...
Chetna
Maithilisharan Gupt
<p>अरे भारत! उठ, आँखें खोल,<br>उड़कर यंत्रों से, खगोल में घूम रहा भूगोल!<br><br>अवसर तेरे लिए खड़ा ह...
Jagauni
Maithilisharan Gupt
<p>उठो, हे भारत, हुआ प्रभात।<br>तजो यह तन्द्रा; जागो तात!<br><br>मिटी है कालनिशा इस वार,<br>हुआ है न...
Holi
Maithilisharan Gupt
<p>जो कुछ होनी थी, सब होली!<br>धूल उड़ी या रंग उड़ा है,<br>हाथ रही अब कोरी झोली।<br>आँखों में सरसों ...
Akkad Makkad, dhool me dhakkad
Bhavani Prasad Mishra
<p>अक्कड़ मक्कड़, धूल में धक्कड़,<br>दोनों मूरख, दोनों अक्खड़,<br>हाट से लौटे, ठाट से लौटे,<br>एक सा...
Accha Anubhav
Bhavani Prasad Mishra
<p>मेरे बहुत पास<br>मृत्यु का सुवास<br>देह पर उस का स्पर्श<br>मधुर ही कहूँगा<br>उस का स्वर कानों में...
Acchi ghadi hai yah
Bhavani Prasad Mishra
<p>इस समय मैं एक बगीचे में बैठा हूं<br>मेरे आसपास के पेड़ों पर<br>पंछी चहक रहे हैं<br>और फूल महक रहे...
Ek tum ho
Makhanlal Chaturvedi
<p>गगन पर दो सितारे: एक तुम हो,<br>धरा पर दो चरण हैं: एक तुम हो,<br>‘त्रिवेणी’ दो नदी हैं! एक तुम हो...
Laddoo le lo
Makhanlal Chaturvedi
<p>ले लो दो आने के चार<br>लड्डू राज गिरे के यार<br>यह हैं धरती जैसे गोल<br>ढुलक पड़ेंगे गोल मटोल<br>...
Deep se deep jale
Makhanlal Chaturvedi
<p>सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलें<br>कर-कंकण बज उठे, भूमि पर प्राण फलें।<br><br>लक्ष्मी खेतों फली...
Mai apne se darti hu sakhi
Makhanlal Chaturvedi
<p>मैं अपने से डरती हूँ सखि&nbsp;!<br><br>पल पर पल चढ़ते जाते हैं,<br>पद-आहट बिन, रो! चुपचाप<br>बिना...
Kaidi aur kokila
Makhanlal Chaturvedi
<p>क्या गाती हो?<br>क्यों रह-रह जाती हो?<br>कोकिल बोलो तो!<br>क्या लाती हो?<br>सन्देशा किसका है?<br>...
Kunj kutire yamuna teere
Makhanlal Chaturvedi
<p>पगली तेरा ठाट&nbsp;!<br>किया है रतनाम्बर परिधान<br>अपने काबू नहीं,<br>और यह सत्याचरण विधान&nbsp;!...
Giri par chadhte dheere dheere
Makhanlal Chaturvedi
<p>सूझ&nbsp;! सलोनी, शारद-छौनी,<br>यों न छका, धीरे-धीरे&nbsp;!<br>फिसल न जाऊँ, छू भर पाऊँ,<br>री, न ...
Sipahi
Makhanlal Chaturvedi
<p>गिनो न मेरी श्वास,<br>छुए क्यों मुझे विपुल सम्मान?<br>भूलो ऐ इतिहास,<br>खरीदे हुए विश्व-ईमान&nbsp...
Vayu
Makhanlal Chaturvedi
<p>चल पडी चुपचाप सन-सन-सन हवा,<br>डालियों को यों चिढाने-सी लगी,<br>आंख की कलियां, अरी, खोलो जरा,<br>...
Vradaan ya abhishaap
Makhanlal Chaturvedi
<p>कौन पथ भूले, कि आये&nbsp;!<br>स्नेह मुझसे दूर रहकर<br>कौनसे वरदान पाये?<br><br>यह किरन-वेला मिलन-...
Bali panthi se
Makhanlal Chaturvedi
<p>मत व्यर्थ पुकारे शूल-शूल,<br>कह फूल-फूल, सह फूल-फूल।<br>हरि को ही-तल में बन्द किये,<br>केहरि से क...
Jawani
Makhanlal Chaturvedi
<p>प्राण अन्तर में लिये, पागल जवानी&nbsp;!<br>कौन कहता है कि तू<br>विधवा हुई, खो आज पानी?<br>&nbsp;<...
Amar rashtra
Makhanlal Chaturvedi
<p>छोड़ चले, ले तेरी कुटिया,<br>यह लुटिया-डोरी ले अपनी,<br>फिर वह पापड़ नहीं बेलने;<br>फिर वह माल पड...
Upalambh
Makhanlal Chaturvedi
<p>क्यों मुझे तुम खींच लाये?<br><br>एक गो-पद था, भला था,<br>कब किसी के काम का था?<br>क्षुद्ध तरलाई ग...
Mujhe rone do
Makhanlal Chaturvedi
<p>भाई, छेड़ो नहीं, मुझे<br>खुलकर रोने दो।<br>यह पत्थर का हृदय<br>आँसुओं से धोने दो।<br>रहो प्रेम से...
Tum mile
Makhanlal Chaturvedi
<p>तुम मिले, प्राण में रागिनी छा गई!<br><br>भूलती-सी जवानी नई हो उठी,<br>भूलती-सी कहानी नई हो उठी,<b...
Badariya tham thamkar jhar ri
Makhanlal Chaturvedi
<p>बदरिया थम-थनकर झर री&nbsp;!<br>सागर पर मत भरे अभागन<br>गागर को भर री&nbsp;!<br><br>बदरिया थम-थमकर...
Yauvan ka pagalpan
Makhanlal Chaturvedi
<p>हम कहते हैं बुरा न मानो, यौवन मधुर सुनहली छाया।<br>सपना है, जादू है, छल है ऐसा<br>पानी पर बनती-मि...
Jhoola jhule ri
Makhanlal Chaturvedi
<p>संपूरन कै संग अपूरन झूला झूलै री,<br>दिन तो दिन, कलमुँही साँझ भी अब तो फूलै री।<br>गड़े हिंडोले, ...
Ghar mera hai?
Makhanlal Chaturvedi
<p>क्या कहा कि यह घर मेरा है?<br>जिसके रवि उगें जेलों में,<br>संध्या होवे वीरानों मे,<br>उसके कानों ...
Taan ki maror
Makhanlal Chaturvedi
<p>तू न तान की मरोर<br>देख, एक साथ चल,<br>तू न ज्ञान-गर्व-मत्त--<br>शोर, देख साथ चल।<br><br>सूझ की ह...
Pushp ki abhilasha
Makhanlal Chaturvedi
<p>चाह नहीं, मैं सुरबाला के<br>गहनों में गूँथा जाऊँ,<br>चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध<br>प्यारी को ल...
Tumhara chitra
Makhanlal Chaturvedi
<p>मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया<br>कुछ नीले कुछ श्वेत गगन पर<br>हरे-हरे घन श्यामल वन पर<br>द्रुत असीम...
Dubon ke darbar me
Makhanlal Chaturvedi
<p>क्या आकाश उतर आया है<br>दूबों के दरबार में?<br><br>नीली भूमि हरी हो आई<br>इस किरणों के ज्वार में&...
Basant manmaana
Makhanlal Chaturvedi
<p>चादर-सी ओढ़ कर ये छायाएँ<br>तुम कहाँ चले यात्री, पथ तो है बाएँ।<br><br>धूल पड़ गई है पत्तों पर डा...
Tum mand chalo
Makhanlal Chaturvedi
<p>तुम मन्द चलो,<br>ध्वनि के खतरे बिखरे मग में-<br>तुम मन्द चलो।<br><br>सूझों का पहिन कलेवर-सा,<br>व...
jaagna apraadh
Makhanlal Chaturvedi
<p>जागना अपराध!<br>इस विजन-वन गोद में सखि,<br>मुक्ति-बन्धन-मोद में सखि,<br>विष-प्रहार-प्रमोद में सखि...
Yah kiska man dola
Makhanlal Chaturvedi
<p>यह किसका मन डोला?<br>मृदुल पुतलियों के उछाल पर,<br>पलकों के हिलते तमाल पर,<br>नि:श्वासों के ज्वाल...
Chalo chhiya chhi ho anter me
Makhanlal Chaturvedi
<p>चलो छिया-छी हो अन्तर में!<br>तुम चन्दा<br>मैं रात सुहागन<br><br>चमक-चमक उट्ठें आँगन में<br>चलो छि...
Us prabhat, tu baat na maane
Makhanlal Chaturvedi
<p>उस प्रभात, तू बात न माने,<br>तोड़ कुन्द कलियाँ ले आई,<br>फिर उनकी पंखड़ियाँ तोड़ीं<br>पर न वहाँ त...
Usha ke sang pahin arunima
Makhanlal Chaturvedi
<p>ऊषा के सँग, पहिन अरुणिमा<br>मेरी सुरत बावली बोली-<br>उतर न सके प्राण सपनों से,<br>मुझे एक सपने मे...
Madhur madhur kuch gaa do malik
Makhanlal Chaturvedi
<p>मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक!<br>प्रलय-प्रणय की मधु-सीमा में<br>जी का विश्व बसा दो मालिक!<br><br>राग...
Aaj nayan ke bangle me
Makhanlal Chaturvedi
<p>आज नयन के बँगले में<br>संकेत पाहुने आये री सखि!<br><br>जी से उठे<br>कसक पर बैठे<br>और बेसुधी-<br>...
Yah amar nishani kiski hai?
Makhanlal Chaturvedi
<p>यह अमर निशानी किसकी है?<br>बाहर से जी, जी से बाहर-<br>तक, आनी-जानी किसकी है?<br>दिल से, आँखों से,...
Machal mat, door door o mani
Makhanlal Chaturvedi
<p>मचल मत, दूर-दूर, ओ मानी&nbsp;!<br>उस सीमा-रेखा पर<br>जिसके ओर न छोर निशानी;<br>मचल मत, दूर-दूर, ओ...
Anjali ke fool gir jaate hai
Makhanlal Chaturvedi
<p>अंजलि के फूल गिरे जाते हैं<br>आये आवेश फिरे जाते हैं।<br><br>चरण-ध्वनि पास-दूर कहीं नहीं<br>साधें...
Kya akash utar aaya hai
Makhanlal Chaturvedi
<p>क्या आकाश उतर आया है<br>दूबों के दरबार में<br>नीली भूमि हरि हो आई<br>इस किरणों के ज्वार में।<br><...
Kaisi hai pehchaan tumhari
Makhanlal Chaturvedi
<p>कैसी है पहिचान तुम्हारी<br>राह भूलने पर मिलते हो&nbsp;!<br><br>पथरा चलीं पुतलियाँ, मैंने<br>विविध...
Nayi nayi kopale
Makhanlal Chaturvedi
<p>नयी-नयी कोपलें, नयी कलियों से करती जोरा-जोरी<br>चुप बोलना, खोलना पंखुड़ि, गंध बह उठा चोरी-चोरी।<b...
Ye prakash ne failaye hai
Makhanlal Chaturvedi
<p>ये प्रकाश ने फैलाये हैं पैर, देख कर ख़ाली में<br>अन्धकार का अमित कोष भर आया फैली व्याली में<br><b...
Fukaran kar, re samay ke saanp
Makhanlal Chaturvedi
<p>फुंकरण कर, रे समय के साँप<br>कुंडली मत मार, अपने-आप।<br><br>सूर्य की किरणों झरी सी<br>यह मेरी सी,...
Sandhya ke bas do bol suhane lagte hai
Makhanlal Chaturvedi
<p>सन्ध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं<br>सूरज की सौ-सौ बात नहीं भाती मुझको<br><br>बोल-बोल में बोल ...
Jaade ki saanjh
Makhanlal Chaturvedi
<p>किरनों की शाला बन्द हो गई चुप-चपु<br>अपने घर को चल पड़ी सहस्त्रों हँस-हँस<br>उ ण्ड खेलतीं घुल-मिल...
Samay ke samarth Ashva
Makhanlal Chaturvedi
<p>समय के समर्थ अश्व मान लो<br>आज बन्धु! चार पाँव ही चलो।<br>छोड़ दो पहाड़ियाँ, उजाड़ियाँ<br>तुम उठो...
Madhur badal
Makhanlal Chaturvedi
<p>मधुर&nbsp;! बादल, और बादल, और बादल आ रहे हैं<br>और संदेशा तुम्हारा बह उठा है, ला रहे हैं।।<br><br...
Jeevan, yah muaulik mahamaani
Makhanlal Chaturvedi
<p>जीवन, यह मौलिक महमानी!<br><br>खट्टा, मीठा, कटुक, केसला<br>कितने रस, कैसी गुण-खानी<br>हर अनुभूति अ...
Uth mahaan
Makhanlal Chaturvedi
<p>उठ महान&nbsp;! तूने अपना स्वर<br>यों क्यों बेंच दिया?<br>प्रज्ञा दिग्वसना, कि प्राण् का<br>पट क्य...
Ye vrikshon pe uge parinde
Makhanlal Chaturvedi
<p>ये वृक्षों में उगे परिन्दे<br>पंखुड़ि-पंखुड़ि पंख लिये<br>अग जग में अपनी सुगन्धित का<br>दूर-पास व...
Iss tarah dhakkan lagaya raat ne
Makhanlal Chaturvedi
<p>इस तरह ढक्कन लगाया रात ने<br>इस तरफ़ या उस तरफ़ कोई न झाँके।<br><br>बुझ गया सूर्य<br>बुझ गया चाँद...
Gali me garima ghol ghol
Makhanlal Chaturvedi
<p>गाली में गरिमा घोल-घोल<br>क्यों बढ़ा लिया यह नेह-तोल<br><br>कितने मीठे, कितने प्यारे<br>अर्पण के ...
Saans ke prashnchinho, likhi swar katha
Makhanlal Chaturvedi
<p>साँस के प्रश्न-चिन्हों, लिखी स्वर-कथा<br>क्या व्यथा में घुली, बावली हो गई!<br>तारकों से मिली, चन्...
Ganga ki vidai
Makhanlal Chaturvedi
<p>शिखर शिखारियों मे मत रोको,<br>उसको दौड़ लखो मत टोको,<br>लौटे&nbsp;? यह न सधेगा रुकना<br>दौड़, प्र...
Varsha ne aaj vidai li
Makhanlal Chaturvedi
<p>वर्षा ने आज विदाई ली जाड़े ने कुछ अंगड़ाई ली<br>प्रकृति ने पावस बूँदो से रक्षण की नव भरपाई ली।<br...
Bol to kiske liye main
Makhanlal Chaturvedi
<p>बोल तो किसके लिए मैं<br>गीत लिक्खूँ, बोल बोलूँ?<br><br>प्राणों की मसोस, गीतों की-<br>कड़ियाँ बन-ब...
Ye anaaj ke poolein tere kandhe jhoolein
Makhanlal Chaturvedi
<p>ये अनाज की पूलें तेरे काँधें झूलें<br>तेरा चौड़ा छाता<br>रे जन-गण के भ्राता<br>शिशिर, ग्रीष्म, वर...
Jo na ban payi tumhare
Makhanlal Chaturvedi
<p>जो न बन पाई तुम्हारे<br>गीत की कोमल कड़ी।<br><br>तो मधुर मधुमास का वरदान क्या है?<br>तो अमर अस्ति...
Khone ko paane aaye ho
Makhanlal Chaturvedi
<p>खोने को पाने आये हो?<br>रूठा यौवन पथिक, दूर तक<br>उसे मनाने आये हो?<br>खोने को पाने आये हो?<br><b...
Go-gan sambhale nhi jaate matwale nath
Makhanlal Chaturvedi
<p>गो-गण सँभाले नहीं जाते मतवाले नाथ,<br>दुपहर आई वर-छाँह में बिठाओ नेक।<br>वासना-विहंग बृज-वासियों ...
Pratham rashmi
Sumitranandan Pant
<p>प्रथम रश्मि का आना रंगिणि!<br>तूने कैसे पहचाना?<br>कहाँ, कहाँ हे बाल-विहंगिनि!<br>पाया तूने वह गा...
Anubhuti
Sumitranandan Pant
<p>तुम आती हो,<br>नव अंगों का<br>शाश्वत मधु-विभव लुटाती हो।<br><br>बजते नि:स्वर नूपुर छम-छम,<br>सांस...
Parivartan
Sumitranandan Pant
<p>(१)<br>अहे निष्ठुर परिवर्तन!<br>तुम्हारा ही तांडव नर्तन<br>विश्व का करुण विवर्तन!<br>तुम्हारा ही ...
Amar sparsh
Sumitranandan Pant
<p>खिल उठा हृदय,<br>पा स्पर्श तुम्हारा अमृत अभय!<br><br>खुल गए साधना के बंधन,<br>संगीत बना, उर का रो...
Yah dharti kitna deti hai
Sumitranandan Pant
<p>मैंने छुटपन में छिपकर पैसे बोये थे,<br>सोचा था, पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे,<br>रुपयों की कलदार म...
Machhue ka geet
Sumitranandan Pant
<p>प्रेम की बंसी लगी न प्राण!<br><br>तू इस जीवन के पट भीतर<br>कौन छिपी मोहित निज छवि पर?<br>चंचल री ...
Sri Suryakant Tripathi ke prati
Sumitranandan Pant
<p>छंद बंध ध्रुव तोड़, फोड़ कर पर्वत कारा<br>अचल रूढ़ियों की, कवि! तेरी कविता धारा<br>मुक्त अबाध अमं...
Jag ke urvar aangan me
Sumitranandan Pant
<p>जग के उर्वर-आँगन में<br>बरसो ज्योतिर्मय जीवन!<br>बरसो लघु-लघु तृण, तरु पर<br>हे चिर-अव्यय, चिर-नू...
Sandhya vandana
Sumitranandan Pant
<p>जीवन का श्रम ताप हरो हे!<br>सुख सुषुमा के मधुर स्वर्ण हे!<br>सूने जग गृह द्वार भरो हे!<br><br>लौट...
Lehron ka geet
Sumitranandan Pant
<p>अपने ही सुख से चिर चंचल<br>हम खिल खिल पडती हैं प्रतिपल,<br>जीवन के फेनिल मोती को<br>ले ले चल करतल...
Ghanta
Sumitranandan Pant
<p>नभ की है उस नीली चुप्पी पर<br>घंटा है एक टंगा सुन्दर,<br>जो घडी घडी मन के भीतर<br>कुछ कहता रहता ब...
Vayu ke prati
Sumitranandan Pant
<p>प्राण! तुम लघु लघु गात!<br>नील नभ के निकुंज में लीन,<br>नित्य नीरव, नि:संग नवीन,<br>निखिल छवि की ...
Yaad
Sumitranandan Pant
<p>बिदा हो गई साँझ, विनत मुख पर झीना आँचल धर,<br>मेरे एकाकी आँगन में मौन मधुर स्मृतियाँ भर!<br>वह के...
Mahatma ji ke prati
Sumitranandan Pant
<p>निर्वाणोन्मुख आदर्शों के अंतिम दीप शिखोदय!--<br>जिनकी ज्योति छटा के क्षण से प्लावित आज दिगंचल,--<...
Ganga
Sumitranandan Pant
<p>अब आधा जल निश्चल, पीला,--<br>आधा जल चंचल औ’, नीला--<br>गीले तन पर मृदु संध्यातप<br>सिमटा रेशम पट ...
Vijay
Sumitranandan Pant
<p>मैं चिर श्रद्धा लेकर आई<br>वह साध बनी प्रिय परिचय में,<br>मैं भक्ति हृदय में भर लाई,<br>वह प्रीति...
Aa dharti kitna deti hai
Sumitranandan Pant
<p>मैने छुटपन मे छिपकर पैसे बोये थे<br>सोचा था पैसों के प्यारे पेड़ उगेंगे ,<br>रुपयों की कलदार मधुर...
Cheeti
Sumitranandan Pant
<p>चींटी को देखा?<br>वह सरल, विरल, काली रेखा<br>तम के तागे सी जो हिल-डुल,<br>चलती लघु पद पल-पल मिल-ज...
Kholo, mukh se ghunghat
<p>खोलो, मुख से घूँघट खोलो,<br>हे चिर अवगुंठनमयि, बोलो!<br>क्या तुम केवल चिर-अवगुंठन,<br>अथवा भीतर ज...
Dvabha ke ekaki premi
Sumitranandan Pant
<p>द्वाभा के एकाकी प्रेमी,<br>नीरव दिगन्त के शब्द मौन,<br>रवि के जाते, स्थल पर आते<br>कहते तुम तम से...
Sandhya
Sumitranandan Pant
<p>कहो, तुम रूपसि कौन?<br>व्योम से उतर रही चुपचाप<br>छिपी निज छाया-छबि में आप,<br>सुनहला फैला केश-कल...
Titli
Sumitranandan Pant
<p>नीली, पीली औ’ चटकीली<br>पंखों की प्रिय पँखड़ियाँ खोल,<br>प्रिय तिली! फूल-सी ही फूली<br>तुम किस सु...
Taaj
Sumitranandan Pant
<p>हाय! मृत्यु का ऐसा अमर, अपार्थिव पूजन?<br>जब विषण्ण, निर्जीव पड़ा हो जग का जीवन!<br>संग-सौध में ह...
Maanav
Sumitranandan Pant
<p>सुन्दर हैं विहग, सुमन सुन्दर,<br>मानव! तुम सबसे सुन्दरतम,<br>निर्मित सबकी तिल-सुषमा से<br>तुम निख...
Bapu ke prati
Sumitranandan Pant
<p>तुम मांस-हीन, तुम रक्तहीन,<br>हे अस्थि-शेष! तुम अस्थिहीन,<br>तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल,<br>हे चि...
Andhiyali ghata me
Sumitranandan Pant
<p>अँधियाली घाटी में सहसा<br>हरित स्फुलिंग सदृश फूटा वह!<br>वह उड़ता दीपक निशीथ का,--<br>तारा-सा आकर...
Mitti ka gehra ahankar
Sumitranandan Pant
<p>मिट्टी का गहरा अंधकार<br>डूबा है उसमें एक बीज,--<br>वह खो न गया, मिट्टी न बना,<br>कोदों, सरसों से...
Gram shri
Sumitranandan Pant
<p>फैली खेतों में दूर तलक<br>मख़मल की कोमल हरियाली,<br>लिपटीं जिससे रवि की किरणें<br>चाँदी की सी उजल...
Chhod drumon ki mridu chhaya
Sumitranandan Pant
<p>छोड़ द्रुमों की मृदु छाया,<br>तोड़ प्रकृति से भी माया,<br>बाले! तेरे बाल-जाल में कैसे उलझा दूँ लो...
Kaale badal
Sumitranandan Pant
<p>सुनता हूँ, मैंने भी देखा,<br>काले बादल में रहती चाँदी की रेखा!<br><br>काले बादल जाति द्वेष के,<br...
Parvat pradesh me paavas
Sumitranandan Pant
<p>पावस ऋतु थी, पर्वत प्रदेश,<br>पल-पल परिवर्तित प्रकृति-वेश।<br><br>मेखलाकर पर्वत अपार<br>अपने सहस्...
Chanchal pag deep sikha se
Sumitranandan Pant
<p>चंचल पग दीप-शिखा-से धर<br>गृह,मग, वन में आया वसन्त!<br>सुलगा फाल्गुन का सूनापन<br>सौन्दर्य-शिखाओं...
Sandhya ke baad
Sumitranandan Pant
<p>सिमटा पंख साँझ की लाली<br>जा बैठी तरू अब शिखरों पर<br>ताम्रपर्ण पीपल से, शतमुख<br>झरते चंचल स्‍वर...
Jag jeevan me jo chir mahaan
Sumitranandan Pant
<p>जग-जीवन में जो चिर महान,<br>सौंदर्य-पूर्ण औ सत्‍य-प्राण,<br>मैं उसका प्रेमी बनूँ, नाथ!<br>जिसमें ...
Bharat mata
Sumitranandan Pant
<p>भारत माता<br>ग्रामवासिनी।<br>खेतों में फैला है श्यामल<br>धूल भरा मैला सा आँचल,<br>गंगा यमुना में ...
15 August, 1947
Sumitranandan Pant
<p>चिर प्रणम्य यह पुष्य अहन, जय गाओ सुरगण,<br>आज अवतरित हुई चेतना भू पर नूतन&nbsp;!<br>नव भारत, फिर ...
Nauka Vihar
Sumitranandan Pant
<p>शांत स्निग्ध, ज्योत्स्ना उज्ज्वल!<br>अपलक अनंत, नीरव भू-तल!<br>सैकत-शय्या पर दुग्ध-धवल, तन्वंगी ग...
Aaj rahne do yeh grih kaaj
Sumitranandan Pant
<p>आज रहने दो यह गृह-काज,<br>प्राण! रहने दो यह गृह-काज!<br>आज जाने कैसी वातास<br>छोड़ती सौरभ-श्लथ उच...
Chandni
Sumitranandan Pant
<p>नीले नभ के शतदल पर<br>वह बैठी शारद-हासिनि,<br>मृदु-करतल पर शशि-मुख धर,<br>नीरव, अनिमिष, एकाकिनि!<...
Tap re!
Sumitranandan Pant
<p>तप रे, मधुर मन!<br><br>विश्व-वेदना में तप प्रतिपल,<br>जग-जीवन की ज्वाला में गल,<br>बन अकलुष, उज्ज...
Drut jharo
Sumitranandan Pant
<p>द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र!<br>हे स्रस्त-ध्वस्त! हे शुष्क-शीर्ण!<br>हिम-ताप-पीत, मधुवात-भीत,<br>...

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