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इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है (2021)
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धूप ये अठखेलियाँ हर रोज़ करती है (Poem 2021)
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टेपा सम्मेलन के लिए ग़ज़ल (Poem 2021)
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अपाहिज व्यथा (Poem 2021)
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एक कबूतर चिठ्ठी ले कर पहली—पहली बार उड़ा (Poem 2021)
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आज वीरान अपना घर देखा (Poem 2021)
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कौन यहाँ आया था (Poem 2021)
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होने लगी है जिस्म में जुंबिश तो देखिये (Poem 2021)
दुष्यंत कुमार
तूने ये हरसिंगार हिलाकर बुरा किया (Poem 2021)
दुष्यंत कुमार
लफ़्ज़ एहसास-से छाने लगे, ये तो हद है (Poem 2021)
दुष्यंत कुमार
अब किसी को भी नज़र आती नहीं कोई दरार (Poem 2021)
दुष्यंत कुमार
मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूँ (Poem 2021)
दुष्यंत कुमार
अगर ख़ुदा न करे सच ये ख़्वाब हो जाए (Poem 2021)
दुष्यंत कुमार
ये धुएँ का एक घेरा कि मैं जिसमें रह रहा हूँ (Poem 2021)
दुष्यंत कुमार
वो निगाहें सलीब है (Poem 2021)
दुष्यंत कुमार
अब तो पथ यही है| (Poem 2021)
दुष्यंत कुमार
रोज़ जब रात को बारह का गजर होता है (Poem 2021)
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ये जो शहतीर है पलकों पे उठा लो यारो (Poem 2021)
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तुम्हारे पाँव के नीचे कोई ज़मीन नहीं (Poem 2021)
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आग जलती रहे (Poem 2021)
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ज़िंदगानी का कोई मक़सद नहीं है (Poem 2021)
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अफ़वाह है या सच है ये कोई नही बोला (Poem 2021)
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बाएँ से उड़के दाईं दिशा को गरुड़ गया (Poem 2021)
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