
Aadinath Bhagwan ki Aarti
Lord Rishabhdev is the first Tirthankar of Jainism. Tirthankar means one who creates pilgrimage. Those who create the pilgrimage from the world ocean to salvation, they are called Tirthankara. Rishabhdev ji is also called Adinath. Lord Rishabhdev is the first Tirthankara of present Avasarpini period.
आदिनाथ भगवान की आरती
Change Bhasha
आरती उतारूँ आदिनाथ भगवान की माता मरुदेवि पिता नाभिराय लाल की रोम रोम पुलकित होता देख मूरत आपकी आरती हो बाबा, आरती हो,
प्रभुजी हमसब उतारें थारी आरती तुम धर्म धुरन्धर धारी, तुम ऋषभ प्रभु अवतारी तुम तीन लोक के स्वामी, तुम गुण अनंत सुखकारी इस युग के प्रथम विधाता, तुम मोक्ष मार्म के दाता जो शरण तुम्हारी आता, वो भव सागर तिर जाता हे… नाम हे हजारों ही गुण गान की…
तुम ज्ञान की ज्योति जमाए, तुम शिव मारग बतलाए तुम आठो करम नशाए, तुम सिद्ध परम पद पाये मैं मंगल दीप सजाऊँ, मैं जगमग ज्योति जलाऊँ मैं तुम चरणों में आऊँ, मैं भक्ति में रम जाऊँ हे झूमझूमझूम नाचूँ करुँ आरती।