
Rani Sati ji ki Aarti
Rani Sati, also identified as Narayani Devi and referred to as Dadiji is said to be a Rajasthani woman who lived sometime between the 13th and the 17th century and committed sati on her husband's death. Various temples in Rajasthan and elsewhere are devoted to her worship and to commemorate her act.
Change Bhasha
जय श्री राणी सती मैया, जय जगदम्ब सती जी। अपने भक्तजनों की दूर करो विपती॥जय. अपनि अनन्तर ज्योति अखण्डित मंडित चहुँककुंभा। दुरजन दलन खडग की, विद्युतसम प्रतिभा॥जय. मरकत मणि मन्दिर अति मंजुल, शोभा लखि न बड़े। ललित ध्वजा चहुँ ओर, कंचन कलश धरे॥जय. घण्टा घनन घड़ावल बाजत, शंख मृदंग घुरे। किन्नर गायन करते, वेद ध्वनि उचरे॥जय. सप्त मातृका करें आरती, सरगम ध्यान धरे। विविध प्रकार के व्यंजन, श्री फल भेंट धरे॥जय. संकट विकट विदारणी, नाशनी हो कुमति। सेवक जन हृदय पटले, मृदुल करन सुमति ॥जय. अमल कमल दल लोचनी, मोचनी त्रय तापा। दास आयो शरण आपकी, लाज रखो माता॥जय. श्री राणीसती मैयाजी की आरती, जो कोई नर गावे। सदनसिद्धि नवनिधि, मनवांछित फल पावे॥जय.