
ab meri rakhau laja murari
Change Bhasha
अब मेरी राखौ लाज, मुरारी। संकट में इक संकट उपजौ, कहै मिरग सौं नारी॥ और कछू हम जानति नाहीं, आई सरन तिहारी। उलटि पवन जब बावर जरियौ, स्वान चल्यौ सिर झारी॥ नाचन-कूदन मृगिनी लागी, चरन-कमल पर वारी। सूर स्याम प्रभु अबिगतलीला, आपुहि आपु सँवारी॥