
aise bhakti mohe bhave
Change Bhasha
ऐसे भक्ति मोहे भावे उद्धवजी ऐसी भक्ति । सरवस त्याग मगन होय नाचे जनम करम गुन गावे ॥ उ०॥ध्रु०॥ कथनी कथे निरंतर मेरी चरन कमल चित लावे ॥ मुख मुरली नयन जलधारा करसे ताल बजावे ॥उ०॥१॥ जहां जहां चरन देत जन मेरो सकल तिरथ चली आवे । उनके पदरज अंग लगावे कोटी जनम सुख पावे ॥उ०॥२॥ उन मुरति मेरे हृदय बसत है मोरी सूरत लगावे । बलि बलि जाऊं श्रीमुख बानी सूरदास बलि जावे ॥उ०॥३॥