
ajahum ceti aceta
Change Bhasha
अजहूँ चेति अचेत सबै दिन गए विषय के हेत। तीनौं पन ऐसैं हीं खोए, केश भए सिर सेत॥ आँखिनि अंध, स्त्रवन नहिं सुनियत, थाके चरन समेत। गंगा-जल तजि पियत कूप-जल, हरि-तजि पूजत प्रेत॥ मन-बच-क्रम जौ भजै स्याम कौं, चारि पदारथ देत। ऐसौ प्रभू छाँडि़ क्यौं भटकै, अजहूँ चेति अचेत॥ राम नाम बिनु क्यौं छूटौगे, चंद गहैं ज्यौं केत। सूरदास कछु खरच न लागत, राम नाम मुख लेत॥