
aju mai gai caravana jaiho
Change Bhasha
आजु मैं गाई चरावन जैहों बृंदाबन के भाँति भाँति फल, अपने कर मैं खैहौं। ऎसी बात कहौ जनि बारे, देखौ अपनी भांति। तनक तनक पग चलिहौ कैसें, आवत ह्वै है राति। प्रात जात गैया लै चारन, घर आवत है साँझ। तुम्हारौ कमल बदन कुम्हलैहै, रेंगत घामहिं माँझ। तेरी सौं मोहि घाम न लागत, भूख नहीं कछु नेक। सूरदास प्रभु कहयौ न मानत, परयौ आपनी टेक॥