
binu gopala bairina bhai
Change Bhasha
बिनु गोपाल बैरिन भई कुंजैं। तब ये लता लगति अति सीतल¸ अब भई विषम ज्वाल की पुंजैं। बृथा बहति जमुना¸ खग बोलत¸ बृथा कमल फूलैं अलि गुंजैं। पवन¸ पानी¸ धनसार¸ संजीवनि दधिसुत किरनभानु भई भुंजैं। ये ऊधो कहियो माधव सों¸ बिरह करद करि मारत लुंजैं। सूरदास प्रभु को मग जोवत¸ अंखियां भई बरन ज्यौं गुजैं।