
Dekho ri Hari bhojana khata
Change Bhasha
देखो री हरि भोजन खात। सहस्त्र भुजा धर इत जेमत हे दूत गोपन से करत हे बात॥१॥ ललिता कहत देख हो राधा जो तेरे मन बात समात। धन्य सबे गोकुल के वासी संग रहत गोकुल के तात॥२॥ जेंमत देख मंद सुख दीनो अति आनंद गोकुल के नर नारी। सूरदास स्वामी सुखसागर गुण आगर नागर दे तारी॥३॥