
Dou bhaiya maangte maaiya
Change Bhasha
दोउ भैया मांगत मैया पें देरी मैया दधि माखन रोटी । सुनरी भामते बोल सुतन के झुठेइ धाम के काम अंगोटी ॥१॥ बलजु गह्यो नासा को मोती कान्ह कुंवर गहि दृढ कर चोटी । मानो हंस मोर मखलीने उपमा कहा बरनु मति छोटी ॥२॥ यह छबि देख नंद आनंदित प्रेम मगन भये लोटापोटी । सूरदास यशुमति सुख विलसत भाग्य बडे करमन की मोटी ॥३॥