
kaham laum baranaum sumdaratai
Change Bhasha
कहां लौं बरनौं सुंदरताई। खेलत कुंवर कनक-आंगन मैं नैन निरखि छबि पाई॥ कुलही लसति सिर स्याम सुंदर कैं बहु बिधि सुरंग बनाई। मानौ नव धन ऊपर राजत मघवा धनुष चढ़ाई॥ अति सुदेस मन हरत कुटिल कच मोहन मुख बगराई। मानौ प्रगट कंज पर मंजुल अलि-अवली फिरि आई॥ नील सेत अरु पीत लाल मनि लटकन भाल रुलाई। सनि गुरु-असुर देवगुरु मिलि मनु भौम सहित समुदाई॥ दूध दंत दुति कहि न जाति कछु अद्भुत उपमा पाई। किलकत-हंसत दुरति प्रगटति मनु धन में बिज्जु छटाई॥ खंडित बचन देत पूरन सुख अलप-अलप जलपाई। घुटुरुनि चलन रेनु-तन-मंडित सूरदास बलि जाई॥