
kijai prabhu apane birada ki laja
Change Bhasha
कीजै प्रभु अपने बिरद की लाज। महापतित कबहूं नहिं आयौ, नैकु तिहारे काज॥ माया सबल धाम धन बनिता, बांध्यौ हौं इहिं साज। देखत सुनत सबै जानत हौं, तऊ न आयौं बाज॥ कहियत पतित बहुत तुम तारे स्रवननि सुनी आवाज। दई न जाति खेवट उतराई, चाहत चढ्यौ जहाज॥ लीजै पार उतारि सूर कौं महाराज ब्रजराज। नई न करन कहत, प्रभु तुम हौ सदा गरीब निवाज॥