
meti sakai nahi koi
Change Bhasha
मेटि सकै नहिं कोइ करें गोपाल के सब होइ। जो अपनौ पुरषारथ मानै अति झूठौ है सोइ॥ साधन मंत्र जंत्र उद्यम बल ये सब डारौं धोइ। जो कछु लिखि राख्यौ नंद नंदन मेटि सकै नहिं कोइ॥ दुख सुख लाभ अलाभ समुझि तुम कतहि मरत हौ रोइ। सूरदास स्वामी करुनामय स्याम चरन मन पोइ॥