
mo sama kauna kutila khala kami
Change Bhasha
मो सम कौन कुटिल खल कामी। जेहिं तनु दियौ ताहिं बिसरायौ, ऐसौ नोनहरामी॥ भरि भरि उदर विषय कों धावौं, जैसे सूकर ग्रामी। हरिजन छांड़ि हरी-विमुखन की निसदिन करत गुलामी॥ पापी कौन बड़ो है मोतें, सब पतितन में नामी। सूर, पतित कों ठौर कहां है, सुनिए श्रीपति स्वामी॥