
murali gati biparita karai
Change Bhasha
मुरली गति बिपरीत कराई। तिहुं भुवन भरि नाद समान्यौ राधारमन बजाई॥ बछरा थन नाहीं मुख परसत, चरत नहीं तृन धेनु। जमुना उलटी धार चली बहि, पवन थकित सुनि बेनु॥ बिह्वल भये नाहिं सुधि काहू, सूर गंध्रब नर-नारि। सूरदास, सब चकित जहां तहं ब्रजजुवतिन सुखकारि॥