
palanaim gopala jhulavaim
Change Bhasha
पालनैं गोपाल झुलावैं । सुर मुनि देव कोटि तैंतीसौ कौतुक अंबर छावैं ॥१॥ जाकौ अन्त न ब्रह्मा जाने, सिव सनकादि न पावैं । सो अब देखो नन्द जसोदा, हरषि हरषि हलरावैं ॥२॥ हुलसत हँसत करत किलकारी मन अभिलाष बढावैं । सूर श्याम भक्तन हित कारन नाना भेष बनावै ॥३॥