
prabhu, haum saba patitana kau raja
Change Bhasha
प्रभु, हौं सब पतितन कौ राजा। परनिंदा मुख पूरि रह्यौ जग, यह निसान नित बाजा॥ तृस्ना देसरु सुभट मनोरथ, इंद्रिय खड्ग हमारे। मंत्री काम कुमत दैबे कों, क्रोध रहत प्रतिहारे॥ गज अहंकार चढ्यौ दिगविजयी, लोभ छ्त्र धरि सीस॥ फौज असत संगति की मेरी, ऐसो हौं मैं ईस। मोह मदै बंदी गुन गावत , मागध दोष अपार॥ सूर, पाप कौ गढ दृढ़ कीने, मुहकम लाय किंवार॥