
raina jagi piya sanga ranga mini
Change Bhasha
रैन जागी पिया संग रंग मीनी ॥ध्रु०॥ प्रफुल्लित मुख कंज नेन खजरीटमान मेन मिथुरी । रहे चुरन कच बदन ओप किनी ॥१॥ आतुर आलस जंभात पूलकीत अतिपान खाद मद । माते तन मुधीन रही सीथल भई बेनी ॥२॥ मांगते टरी मुक्तता हल अलक संग अरुची रही ऊरग । नसत फनी मानो कुंचकी तजी दिनी ॥३॥ बिकसत ज्यौं चंपकली भोर भये भवन चली लटपटात । प्रेम घटी गजगती गती लिन्हा ॥४॥ आरतीको करत नाश गिरिधर सुठी सुखकी रासी सूरदास । स्वामीनी गुन गने न जात चिन्ही ॥५॥