
Sandesho devaki sau kahiyo
Change Bhasha
संदेसो दैवकी सों कहियौ। `हौं तौ धाय तिहारे सुत की, मया करति नित रहियौ॥ जदपि टेव जानति तुम उनकी, तऊ मोहिं कहि आवे। प्रातहिं उठत तुम्हारे कान्हहिं माखन-रोटी भावै॥ तेल उबटनों अरु तातो जल देखत हीं भजि जाते। जोइ-जोइ मांगत सोइ-सोइ देती, क्रम-क्रम करिकैं न्हाते॥ सुर, पथिक सुनि, मोहिं रैनि-दिन बढ्यौ रहत उर सोच। मेरो अलक लडैतो मोहन ह्वै है करत संकोच॥