
upama hari tanu dekhi lajani
Change Bhasha
उपमा हरि तनु देखि लजानी। कोउ जल मैं कोउ बननि रहीं दुरि कोउ कोउ गगन समानी॥ मुख निरखत ससि गयौ अंबर कौं तडि़त दसन-छबि हेरि। मीन कमल कर चरन नयन डर जल मैं कियौ बसेरि॥ भुजा देखि अहिराज लजाने बिबरनि पैठे धाइ। कटि निरखत केहरि डर मान्यौ बन-बन रहे दुराइ॥ गारी देहिं कबिनि कैं बरनत श्रीअंग पटतर देत। सूरदास हमकौं सरमावत नाउं हमारौ लेत॥