Acchi ghadi hai yah
Change Bhasha
इस समय मैं एक बगीचे में बैठा हूं
मेरे आसपास के पेड़ों पर
पंछी चहक रहे हैं
और फूल महक रहे हैं पौधों पर
सूरज को सुख देते लग रहे हैं
ये चहकने वाले पंछी
महकने वाले फूल
वह मुझे साधारण से कुछ ज़्यादा
प्रसन्न भाव से आसमान में
ऊपर उठता दिख रहा है !
अच्छी घड़ी है यह
जिसमें मैं दिनकर जी के साथ
तुम दोनों के बारे में
सहज भाव से सोच पा रहा हूँ
लगता है तुम दोनों
चमकने वाले पंछी
और महकने वाले फूल हो
और तुम्हारी ख़ुशी के ख़याल में
आसमान में उठने वाले सूरज की तरह
दिनकर जी आज हमेशा से ज़्यादा ख़ुश हैं !
उनकी ख़ुशी मुझे हमेशा से भी अधिक हलका बनाए हुए है
और गुनगुना रहा हूँ मैं हौले-हल्के
तुम्हारे आने वाले दिन
तुम्हारे आने वाले पल
तुम्हारे आने वाले छिन
कि गिननी न पड़ें
तुम्हें कभी घड़ियाँ
उन्हें चमका सको तुम
सूरज और चान्द
और तारों की तरह
लग सको तुम
दुनिया को दी गई
दिनकर जी की
कविताओं की तरह
हल्की-भारी
हर घड़ी को
सहारों की तरह !