Baayein se udke daayein disha ko garuda gaya
Change Bhasha
बाएँ से उड़के दाईं दिशा को गरुड़ गया
कैसा शगुन हुआ है कि बरगद उखड़ गया
इन खँडहरों में होंगी तेरी सिसकियाँ ज़रूर
इन खँडहरों की ओर सफ़र आप मुड़ गया
बच्चे छलाँग मार के आगे निकल गये
रेले में फँस के बाप बिचारा बिछुड़ गया
दुख को बहुत सहेज के रखना पड़ा हमें
सुख तो किसी कपूर की टिकिया-सा उड़ गया
लेकर उमंग संग चले थे हँसी—खुशी
पहुँचे नदी के घाट तो मेला उजड़ गया
जिन आँसुओं का सीधा तअल्लुक़ था पेट से
उन आँसुओं के साथ तेरा नाम जुड़ गया.