Brahma
Change Bhasha
ब्रम्ह से ब्रम्हांड है ।
ब्रम्ह ही तो ज्ञान है ।।
ब्रम्ह वेदो का सार है ।
ब्रम्ह ही पुरान है ।।
ब्रम्ह ऋषियो की वाणी है ।
ब्रम्ह गंगा का पानी है ।।
ब्रम्ह जीवन से मोक्ष की,
इक सम्पूर्ण कहानी है ।।
ब्रम्ह जीवों में आत्म है ।
ब्रम्ह ही अध्यात्म है ।।
आधुनिकता के परे है जो,
ब्रम्ह वो विज्ञान है ।।
चन्द्र की शीतलता है ।
जिवन की व्यकुलता है ।।
इक छोटे से कन की भी,
ब्रम्ह ही चंचलता है ।।
सूर्या का है तेज ब्रम्ह ।
वायु का है वग ब्रम्ह ।।
नहि समझ पाया कभी जो,
वैसा है संवेग ब्रम्ह।।
आदि ब्रम्ह है, अन्त है ब्रम्ह ।
सत्य और असत्य है ब्रम्ह ।।
खूद के भीतर झांक के देखो ।
हृदय कमल मे बसा है ब्रम्ह ...!