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विनय

Suryakant Tripathi Nirala

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पथ पर मेरा जीवन भर दो,

बादल हे, अनंत अंबर के!

बरस सलिल, गति ऊर्मिल कर दो!

तट हों विटप छाँह के, निर्जन,

सस्मित-कलिदल-चुंबित-जलकण,

शीतल शीतल बहे समीरण,

कूजें द्रुम-विहंगगण, वर दो!

दूर ग्राम की कोई वामा

आए मंद चरण अभिरामा,

उतरे जल में अवसन श्यामा,

अंकित उर छबि सुंदरतर हो!

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः