Buddha Brahman aur Sanatan Dharm
सनातन वैदिक धर्म और उसमें परिकल्पित ब्राह्मण जीवन की व्याख्या भगवान बुद्ध ने भी बहुत सुन्दर ढंग से की थी। श्रावस्ती के जेतवन में कालयक्षिणी ने जब उनसे पूछा था कि धर्म का मर्म क्या है?
तब इक्ष्वाकुवंशी भगवान ने उत्तर दिया था किवैर करने से वैर नहीं खत्म होता, जैसे गंदे पानी से गंदे वस्त्र साफ नहीं होते। वैर तो अवैर अर्थात् मैत्री या क्षमा से ही शान्त होता है। यही सन्त मत है, यही सनातन धर्म है।
