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गुरु चरणाम्भुज निर्भरभक्तः संसाराद्-अचिराद्-भव मुक्तः | सेन्दिय मानस नियमादेवं द्रक्ष्यसि निज हृदयस्थं देवम् ‖ 32 ‖
guru charaṇāmbhuja nirbharabhaktaḥ saṃsārād-achirād-bhava muktaḥ | sendiya mānasa niyamādevaṃ drakśhyasi nija hṛdayasthaṃ devam ‖ 32 ‖
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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः