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त्यजेदेकं कुलस्यार्थे ग्रामस्यार्थे कुलं त्यजेत् । ग्रामं जनपदस्यार्थे आत्मार्थे पृथिवीं त्यजेत् ॥
tyajedekaṃ kulasyārthe grāmasyārthe kulaṃ tyajet | grāmaṃ janapadasyārthe ātmārthe pṛthivīṃ tyajet ||
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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः