अन्तर्गतमलो दुष्टस्तीर्थस्नानशतैरपि । न शुध्यति यथा भाण्डं सुराया दाहितं च सत् ॥
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antargatamalo duṣṭastīrthasnānaśatairapi | na śudhyati yathā bhāṇḍaṃ surāyā dāhitaṃ ca sat ||
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आप चाहे सौ बार पवित्र जल में स्नान करे, आप अपने मन का मैल नहीं धो सकते. उसी प्रकार जिस प्रकार मदिरा का पात्र पवित्र नहीं हो सकता चाहे आप उसे गरम करके सारी मदिरा की भाप बना दे.
Hindi Translation
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The wicked man will not attain sanctity even if he is instructed in different ways, and the nim tree will not become sweet even if it is sprinkled from the top to the roots with milk and ghee.
English Translation
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