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/shlok/bahir-antash-cha-bhutanam-achara-charam-eva-cha/बहिरन्तश्च भूतानामचरं चरमेव च | सूक्ष्मत्वात्तदविज्ञेयं दूरस्थं चान्तिके च तत् || 16||
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bahir antaśh cha bhūtānām acharaṁ charam eva cha sūkṣhmatvāt tad avijñeyaṁ dūra-sthaṁ chāntike cha tat
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वे परमात्मा सम्पूर्ण प्राणियोंके बाहरभीतर परिपूर्ण हैं और चरअचर प्राणियोंके रूपमें भी वे ही हैं एवं दूरसेदूर तथा नजदीकसेनजदीक भी वे ही हैं। वे अत्यन्त सूक्ष्म होनेसे जाननेका विषय नहीं हैं।
Hindi Translation
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He exists outside and inside all living beings, those that are moving and not moving. He is subtle, and hence, He is incomprehensible. He is very far, but He is also very near.
English Translation
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