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/shlok/chesta-vayu-khamkashamushmagni/

चेष्टा वायुः खमाकाशमूष्माग्निः सलिलं द्रवः। पृथिवी चात्र सङ्कातः शरीरं पाञ्चभौतिकम्।।

Change Bhasha

Cheṣṭā Vāyuḥ Khamākāśamūṣmāgniḥ Salilaṁ Dravaḥ. Pr̥thivī Chātra Saṅkātaḥ Śarīraṁ Pāñchabhautikaṁ.

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Maharishi Bhrigu says that movement in the body of these trees is the form of air, hollowness is the form of sky, heat is the form of fire, liquid is the form of Salil, solidity is the form of earth. Thus this body of these trees is made up of five elements – air, sky, fire, water and earth.

 

English Translation

महर्षि भृगु कहते हैं कि इन वृक्षों के शरीर में गति वायु का रूप है, खोखलापन आकाश का रूप है, ताप अग्नि का रूप है, तरल सलिल का रूप है, ठोसता पृथ्वी का रूप है। इस प्रकार इन वृक्षों का यह शरीर पांच तत्वों- वायु, आकाश, अग्नि, जल और पृथ्वी से बना है।

Hindi Translation

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः