हस्तौ दानविवर्जितौ श्रुतिपुटौ सारस्वतद्रोहिणौ नेत्रे साधुविलोकनेन रहिते पादौ न तीर्थं गतौ । अन्यायार्जितवित्तपूर्णमुदरं गर्वेण तुङ्गं शिरो रे रे जम्बुक मुञ्च मुञ्च सहसा नीचं सुनिन्द्यं वपुः ॥
Change Bhasha
hastau dānavivarjitau śrutipuṭau sārasvatadrohiṇau netre sādhuvilokanena rahite pādau na tīrthaṃ gatau | anyāyārjitavittapūrṇamudaraṃ garveṇa tuṅgaṃ śiro re re jambuka muñca muñca sahasā nīcaṃ sunindyaṃ vapuḥ ||
O jackal, leave aside the body of that man at once, whose hands have never given in charity, whose ears have not heard the voice of learning, whose eyes have not beheld a pure devotee of the Lord, whose feet have never traversed to holy places, whose belly is filled with things obtained by crooked practices, and whose head is held high in vanity. Do not eat it, O jackal, otherwise you will become polluted.
English Translation
अरे लोमड़ी !!! उस व्यक्ति के शरीर को तुरंत छोड़ दे. जिसके हाथो ने कोई दान नहीं दिया. जिसके कानो ने कोई विद्या ग्रहण नहीं की. जिसके आँखों ने भगवान् का सच्चा भक्त नहीं देखा. जिसके पाँव कभी तीर्थ क्षेत्रो में नहीं गए. जिसने अधर्म के मार्ग से कमाए हुए धन से अपना पेट भरा. और जिसने बिना मतलब ही अपना सर ऊँचा उठा रखा है. अरे लोमड़ी !! उसे मत खा. नहीं तो तू दूषित हो जाएगी.