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काष्ठं कल्पतरुः सुमेरुचलश्चिन्तामणिः प्रस्तरः सूर्यास्तीव्रकरः शशी क्षयकरः क्षारो हि वारां निधिः । कामो नष्टतनुर्वलिर्दितिसुतो नित्यं पशुः कामगौ- र्नैतांस्ते तुलयामि भो रघुपते कस्योपमा दीयते ॥

Change Bhasha

kāṣṭhaṃ kalpataruḥ sumerucalaścintāmaṇiḥ prastaraḥ sūryāstīvrakaraḥ śaśī kṣayakaraḥ kṣāro hi vārāṃ nidhiḥ | kāmo naṣṭatanurvalirditisuto nityaṃ paśuḥ kāmagau- rnaitāṃste tulayāmi bho raghupate kasyopamā dīyate ||

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कल्प तरु तो एक लकड़ी ही है. सुवर्ण का सुमेर पर्वत तो निश्छल है. चिंता मणि तो एक पत्थर है. सूर्य में ताप है. चन्द्रमा तो घटता बढ़ता रहता है. अमर्याद समुद्र तो खारा है. काम देव का तो शरीर ही जल गया. महाराज बलि तो राक्षस कुल में पैदा हुए. कामधेनु तो पशु ही है. भगवान् राम के समान कौन है.

Hindi Translation

The desire tree is wood; the golden Mount Meru is motionless; the wish-fulfilling gem Kintamani is just a stone; the sun is scorching; the moon is prone to wane; the boundless ocean is saline; the demigod of lust lost his body (due to Shiva’s wrath); Bali Maharaja, the son of Diti, was born into a clan of demons; and Kamadhenu (the cow of heaven) is a mere beast. O Lord of the Raghu dynasty! I cannot compare you to any one of these (taking their merits into account)

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः