मनसा सततं स्मरणीयम्, वचसा सततं वदनीयम्। लोकहितं मम करणीयम्, लोकहितं मम करणीयम् II
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manasā satataṃ smaraṇīyam, vacasā satataṃ vadanīyam। lokahitaṃ mama karaṇīyam, lokahitaṃ mama karaṇīyam II
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मुझे पूर्ण मनोयोग से सदैव स्मरण करना चाहिए, मुझे वाणी से सदैव बोलना चाहिए, मुझे जगत कल्याण करना चाहिए, मुझे लोकहित करना चाहिए।
इस पद में अर्थ निहित है कि मुझे मन तथा वाणी से जगत कल्याण करना चाहिए।
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