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श्री भगवानुवाच लोकेऽस्मिन्द्विविधा निष्ठा पुरा प्रोक्ता मयानघ। ज्ञानयोगेन सांख्यानां कर्मयोगेन योगिनाम्।।3.3।।

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śrī bhagavānuvāca loke'smindvividhā niṣṭhā purā proktā mayānagha। jñānayogena sāṃkhyānāṃ karmayogena yoginām।।3.3।।

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श्रीभगवान् बोले - हे निष्पाप अर्जुन! इस मनुष्यलोकमें दो प्रकारसे होनेवाली निष्ठा मेरे द्वारा पहले कही गयी है। उनमें ज्ञानियोंकी निष्ठा ज्ञानयोगसे और योगियोंकी निष्ठा कर्मयोगसे होती है।

- Swami Ramsukhdas

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ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः