पठन्ति चतुरो वेदान्धर्मशास्त्राण्यनेकशः । आत्मानं नैव जानन्ति दर्वी पाकरसं यथा ॥
Change Bhasha
paṭhanti caturo vedāndharmaśāstrāṇyanekaśaḥ | ātmānaṃ naiva jānanti darvī pākarasaṃ yathā ||
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One may know the four Vedas and the Dharma-sastras, yet if he has no realisation of his own spiritual self, he can be said to be like the ladle which stirs all kinds of foods but knows not the taste of any.
English Translation
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एक व्यक्ति को चारो वेद और सभी धर्मं शास्त्रों का ज्ञान है. लेकिन उसे यदि अपने आत्मा की अनुभूति नहीं हुई तो वह उसी चमचे के समान है जिसने अनेक पकवानों को हिलाया लेकिन किसी का स्वाद नहीं चखा.
Hindi Translation
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